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बेहतर रख-रखाव की मिसाल है जामा मसजिद

जामा मसजिद के निर्माण में चौक बाजार के गद्दी समुदाय के लोगों ने निभायी अहम भूमिका जुगसलाई जमशेदपुर : जुगसलाई रेलवे फाटक के पास स्थित जामा मसजिद के निर्माण और विस्तार में चौक बाजार के गद्दी समुदाय के लोगों ने अहम भूमिका निभायी है. बताया जाता है कि मुबारकपुर जामा ए अशरफिया से अल्लामा अरशदुल […]

जामा मसजिद के निर्माण में चौक बाजार के गद्दी समुदाय के लोगों ने निभायी अहम भूमिका जुगसलाई

जमशेदपुर : जुगसलाई रेलवे फाटक के पास स्थित जामा मसजिद के निर्माण और विस्तार में चौक बाजार के गद्दी समुदाय के लोगों ने अहम भूमिका निभायी है. बताया जाता है कि मुबारकपुर जामा ए अशरफिया से अल्लामा अरशदुल कादरी को दीन की तबलीग व इशात के लिए जमशेदपुर भेजा गया था. मौलाना कादरी ने अरसे तक जामा मसजिद में नमाज अदा की. यहां इमाम मरहूम कारी हुसैन साहब रहे. मरहूम हारून रशीद ने भी मसजिद की सदारत करते कई साल गुजारे.

इस मसजिद के अहाते में मदरसा संचालित किया जाता है. इसे पुरानी मसजिद के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष मर्कजी दारूल किरअत के कारी निसार अहमद नमाज ए तरावीह पढ़ा रहे हैं, जबकि पंचगाना नमाज पूर्व के पेश ए इमाम हाफिज बशारत हुसैन पढ़ा रहे हैं.

रख-रखाव की बेहतर व्यवस्था

इस मसजिद के रख–रखाव में नौजवानों की टीम लगी है. इसमें नमाजियों के साथ बुजुर्गों का भी सहयोग मिल रहा है. मसजिद के प्रांगण में पुरानी दुकानों को तोड़ कर नये मार्केट काॅम्प्लेक्स का निर्माण कार्य चल रहा है. मसजिद संचालन समिति के सदस्यों में अब्दुल रशीद बट, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद सलीम शामिल हैं. इसके अलावा हाजी आबिद हुसैन अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. यह जुगसलाई की इकलाैती मसजिद है, जहां सभी इलाके के नमाजी पंजेगणा के साथ–साथ जुमा और ईद की नमाज भी पढ़ते हैं.

मो जुबैर अली, सचिव एवंं कोषाध्यक्ष जामा मसजिद

नफिल नमाजों का अहतेमाम करना चाहिए

अल्लाह ताला ने कुरान में इरशाद फरमाया -एक रात ऐसी है, जो हजार रातों से अफजल है. इस रात कुछ विशेष इबादतों में रात में जागकर दो या चार रिकात की नफिल नमाज की नीयत कर नफिल नमाज पढ़नी चाहिए. इस प्रकार 12 रिकात नमाज पढ़ने के संबंध में हदीस ए पाक में जिक्र है. पैगंबर मोहम्मद सअ. ने इरशाद फरमाया कि रात में जाग कर 12 रिकात नमाज इस तरह पढ़ी, हर रिकात में सुरह फातिहा, कुरान ए करीम का कोई एक सुरह और दो रिकात पर तशहद (तहयिआत) पढ़ना चाहिए और फिर दरूदो सलाम भेज कर दुआ करना चाहिए. ऐसा करने से अल्लाह तबारक ताला इंसान की सारी गुनाहें माफ कर देता है. नफिल नमाजों को अहतेमाम की अलग से फजीलत है. हाफिज बशारत हुसैन, पेश ए इमाम व खतीब जामा मसजिद, जुगसलाई

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