पांच साल के लिए बना एग्रीमेंट 1995 तक जारी रहा. 20 अगस्त 2005 में झारखंड सरकार के साथ हुए लीज डीड एग्रीमेंट के तहत कहा गया कि खंड सात के तहत टिस्काे लीज में गलती से सम्मिलित रैयताें की भूमि काे नियमानुसार अलग किया जायेगा.
इस एकरारनामा के बाद सैकड़ाें मूल रैयताें ने उपायुक्त काे भूमि वापसी के लिए आवेदन दिया, जिस पर जिला प्रशासन आैर राज्य सरकार द्वारा आज तक काेई कार्रवाई नहीं की गयी. समिति से मिलनेवालाें में लालटू महताे, सागेन पूर्ति, बाबर खान, महावीर मुर्मू, आदि शामिल थे.