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जमशेदपुर का एमजीएम मेडिकल कॉलेज का हाल : दो साल से साफ नहीं हुई टंकी, 12 और छात्राएं बीमार

जमशेदपुर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज में प्रदूषित पानी तथा उसी पानी से तैयार भोजन के सेवन से बीमार और 12 छात्राओं को शुक्रवार को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल पहुंचाना पड़ा. उनमें से दो छात्रओं, पूनम प्रजापति एवं शाजिया परवीन को स्थिति खराब होने के कारण टीएमएच रेफर कर दिया गया, जबकि चार अन्य को […]

जमशेदपुर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज में प्रदूषित पानी तथा उसी पानी से तैयार भोजन के सेवन से बीमार और 12 छात्राओं को शुक्रवार को इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल पहुंचाना पड़ा. उनमें से दो छात्रओं, पूनम प्रजापति एवं शाजिया परवीन को स्थिति खराब होने के कारण टीएमएच रेफर कर दिया गया, जबकि चार अन्य को एमजीएम अस्पताल में भरती किया गया. बाकी छह छात्राओं को इलाज के होस्टल भेज दिया गया. बीमार छात्राओं को बुखार, उल्टी व दस्त की शिकायत है.
याद रहे कि गुरुवार को 11 छात्राएं बीमार होने पर अस्पताल लायी गयी थीं, जिनमें से पांच को एमजीएम में भरती किया गया था. संदेह है कि छात्रावास की टंकी का पानी बरसों से साफ-सफाई नहीं होने से प्रदूषित हो गया है. उसी पानी से भोजन बनता है. डॉक्टरों के अनुसार प्रदूषित पानी पीने व उसी से बना खाना खाने से उन्हें फूड प्वाइजनिंग हुई है. छात्राओंं के बीमार पड़ने के बाद मेस को बंद कर दिया गया है.
जांच कमेटी गठित. प्राचार्य डॉ एसी अखौरी ने जांच के लिए कमेटी गठित की है. इसमें होस्टल की वार्डन, चीफ वार्डन, मेडिकल विभाग के एचओडी व अन्य लोगों को शामिल किया गया है. शनिवार को कमेटी की बैठक होगी. बैठक के बाद मामले की जांच की जायेगी.
नोटिफाइड एरिया को लिखा गया पत्र
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर एसी अखौरी ने बताया कि लगभग 30 वर्षों से होस्टल में बोरिंग के पानी की ही आपूर्ति की जाती है. काॅलेज में जलापूर्ति के लिए नोटिफाइड एरिया को लिखा गया हैं. जल्द ही वहां से पानी की आपूर्ति शुरू हो जायेगी. अस्पताल परिसर में फॉगिंग के लिए भी पत्र लिखा गया है.
मेस में खाने की क्वालिटी ठीक नहीं : छात्राएं
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के गर्ल्स होस्टल मेस में लगभग 180 मेडिकल के छात्रों के लिए खाना बनता है. नाम नहीं छपने की शर्त पर छात्रों ने बताया कि मेस में जो भी खाना बनता है, उसकी क्वालिटी काफी खराब रहती है, जिसके कारण कई छात्राएं बाहर से टिफिन मंगाती हैं. अनेक लड़कियां यहां खाना खाती हैं. इसके साथ ही कैंटीन में काफी गंदगी रहती है, जिसका सही तकह से सफाई भी नहीं होती. इस तरह पेट दर्द जैसी प्रोब्लम हमेशा होती रहती है, लेकिन किसी को बोलते नहीं थे. घटना के दिन भी लड़कियों की तबीयत खराब हुई तो दवा खाकर सो गयीं, लेकिन ज्यादा होने पर प्राचार्य तथा अन्य लोगों को इसकी सूचना् दी गयी. यहां बोरिंग के पानी का आपूर्ति होती है. टंकी में भी काफी गंदगी रहती है, जिसकी सफाई नहीं होती. न ही कभी टंकी में ब्लीचिंग पाउडर डाला जाता है. इसके अलावा दोनों होस्टलों में पानी के मात्र दो ही फिल्टर लगे हुए हैं , वह भी अधिकतर समय खराब ही रहता है.
एक्यूट बैक्टीरियल गैस्ट्रोइंटराइटिस की हो रही जांच
बीमार छात्राओं में एक्यूट बैक्टीरियल गैस्ट्रोइंट्राइटिस व टायफायड की जांच की जा रही है. यह एक प्रकार का बैक्टीरिया है. इसके बारे में डॉक्टरों ने बताया कि यह प्रदूषित पानी पीने या इससे बना खाना खाने से फूड प्वाइजिंन हो सकती है. हालांकि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा.

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