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टाटा समूह को लीडर बनना है, फॉलोवर नहीं: चंद्रशेखरन

मुंबई : एन चंद्रशेखर ने मंगलवार को टाटा समूह की बागडोर संभाल ली. उन्होंने समूह की धारक कंपनी टाटा संस के चेयरमैन का कार्यभार संभाला है. चंद्रशेखर ने समूह की कंपनियों में अनुशासनबद्ध पूंजी आवंटन व शेयरधारक रिटर्न का वादा किया. उन्होंने कंपनी शेयरधारकों से कहा कि वे ‘फॉलोवर नहीं, लीडर बनें.’ चंद्रशेखरन ने कार्यभार […]

मुंबई : एन चंद्रशेखर ने मंगलवार को टाटा समूह की बागडोर संभाल ली. उन्होंने समूह की धारक कंपनी टाटा संस के चेयरमैन का कार्यभार संभाला है. चंद्रशेखर ने समूह की कंपनियों में अनुशासनबद्ध पूंजी आवंटन व शेयरधारक रिटर्न का वादा किया. उन्होंने कंपनी शेयरधारकों से कहा कि वे ‘फॉलोवर नहीं, लीडर बनें.’ चंद्रशेखरन ने कार्यभार संभालने के बाद कहा, ‘हम मिलकर अपने कारोबार के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये काम करेंगे. हम सबसे आगे होंगे, किसी का अनुसरण नहीं करेंगे.”
चाहिये सबका साथ : चंद्रशेखर ने नमक से लेकर सॉफ्टवेयर क्षेत्र में कार्यरत 103 अरब डालर के टाटा समूह के चेयरमैन का कार्यभार संभालने के बाद ‘बांबे हाउस’ के बाहर उपस्थित संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह जिम्मेदारी संभालना मेरे लिये सौभाग्य और सम्मान की बात है.
मैं अपनी इस नयी भूमिका में आनेवाले वर्षों में समूह की सेवा के लिये तैयार हूं. इसके लिये मैं सभी का समर्थन चाहता हूं ताकि, हम सभी मिलकर काम कर सकें.”
टाटा संस के निदेशकों की बैठक की अध्यक्षता की : सूत्रों ने बताया कि टाटा संस के नये चेयरमैन ने अपना काम शुरू करते हुये ‘बांबे हाउस’ में टाटा संस के निदेशक मंडल की बैठक की अध्यक्षता की. चंद्रशेखरन तीन दशक से टीसीएस से जुड़े हैं. इस दौरान उन्होंने टीसीएस को देश की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी बनाने में काफी योगदान किया. उनके नेतृत्व में टीसीएस समूह की सबसे बेशकीमती कंपनी बन गई.
विवाद के दौर से गुजर रहा है समूह : चंद्रशेखरन ने ऐसे समय में टाटा संस के चेयरमैन का कार्यभार संभाला है, जब समूह में सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से अचानक हटाये जाने के बाद वाद-विवाद का दौर चल रहा है. मिस्त्री ने समूह की कार्यप्रणाली और रतन टाटा के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाये हैं. हालांकि, टाटा ने सभी आरोपों को खारिज किया है. रतन टाटा के अंतरिम चेयरमैन रहते सायरस मिस्त्री को समूह की विभिन्न कंपनियों के निदेशक मंडल से और अंत में समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटा दिया गया.
चार महीने चली बोर्ड रूम की लड़ाई : सायरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद करीब चार माह तक चली बोर्ड रूम की लड़ाई के बाद चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया है.
एन चंद्रशेखरन ने संभाली टाटा समूह की कमान, गैर पारसी, गैर शेयरधारक व गैर प्रवर्तक पहले चेयरमैन
चंद्रशेखर समूह के पहले गैर-प्रवर्तक, गैर-पारसी व गैर शेयरधारक चेयरमैन हैं. वह लंबे समय तक समूह की प्रमुख कंपनी टीसीएस के प्रमुख रहे. इस अवसर पर उन्होंने पूंजी आवंटन व शेयरधारक रिटर्न जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी राय रखी.
उन्होंने कहा, ‘हम समूह में सभी व्यापार प्रमुखों के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि पूंजी आवंटन व शेयरधारक रिटर्न में अनुशासन आये.’ लाभांश में कमी बनी मिस्त्री को हटाने की वजह : 24 अक्तूबर 2016 को समूह के तत्कालीन चेयरमैन सायरस मिस्त्री को अचानक पद से हटा दिया गया था. ऐसा माना जाता है कि टाटा संस में 66 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्टों को समूह कंपनियों की ओर से जाने वाले लाभांश में कमी, मिस्त्री की अचानक निकासी की एक वजह थी. मिस्त्री के बाद रतन टाटा (79) ने अंतरिम चेयरमैन के रूप में समूह की बागडोर एक बार फिर संभाली थी.
सवा नौ बजे ‘बांबे हाउस’ पहुंचे चंद्रशेखरन, थोड़ी ही देर में रतन टाटा और अन्य भी पहुंचे : चंद्रशेखरन (53 वर्ष) मंगलवार की सुबह सवा नौ बजे टाटा संस के मुख्यालय पहुंचे और कुछ ही मिनटों में रतन टाटा और निदेशक मंडल के अन्य सदस्य भी वहां पहुंच गये. चंद्रशेखरन ने इससे पहले सोमवार को टीसीएस के निदेशक मंडल की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने किसी कंपनी द्वारा अपने शेयरों की 16,000 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी पुनर्खरीद योजना की घोषणा की.
यह जिम्मेदारी संभालना मेरे लिए सौभाग्य और सम्मान की बात है. मैं अपनी इस नयी भूमिका में आने वाले वर्षों में समूह की सेवा के लिए तैयार हूं. इसके लिए मैं सभी का समर्थन चाहता हूं, ताकि हम सभी मिल कर काम कर सकें.
एन चंद्रशेखरन, चेयरमैन (टाटा समूह)
टाटा समूह के चेयरमैन का पदभार संभालने मंगलवार को बांबे हाउस पहुंचे एन चंद्रशेखरन, जिनके बायें हाथ की उंगली में अमिट स्याही लगी हुई थी (इनसेट).
ज्वाइिनंग से पहले किया मतदान : मुंबई में मंगलवार को उन्हें बृहन्मुंबई महानगर निमगम (बीएमसी) के चुनावों में मतदान था. चंद्रा के नाम से मशहूर चंद्रशेखरन जब कंपनी के चेयरमैन के तौर पर निदेशक मंडल की पहली बैठक के बाद बाहर आए, तो उनकी उंगली पर चुनाव की अमिट स्याही का निशान दिख रहा था.

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