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सोलर एनर्जी के इस्तेमाल के प्रति सरकारें गंभीर नहीं

जमशेदपुर : झारखंड, बिहार और ओड़िशा जैसे राज्यों में सोलर एनर्जी का काफी संभावनाएं हैं, जिसके इस्तेमाल और जेनरेशन के प्रति सरकारें उतनी गंभीर नहीं दिखती हैं. यह बातें मैगसेसे अवार्ड विजेता और सेल्को सोलर इंडिया के चेयरमैन सह संस्थापक डॉ हरीश हांडे ने कहीं. शहर पहुंचे डॉ हांडे शनिवार को एक्सएलआरआइ में पत्रकारों से […]

जमशेदपुर : झारखंड, बिहार और ओड़िशा जैसे राज्यों में सोलर एनर्जी का काफी संभावनाएं हैं, जिसके इस्तेमाल और जेनरेशन के प्रति सरकारें उतनी गंभीर नहीं दिखती हैं. यह बातें मैगसेसे अवार्ड विजेता और सेल्को सोलर इंडिया के चेयरमैन सह संस्थापक डॉ हरीश हांडे ने कहीं. शहर पहुंचे डॉ हांडे शनिवार को एक्सएलआरआइ में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमने कालाहांडी जैसे जगहों पर सोलर पर काम किया है.

सोलर के अलावा यहां बायो गैस और बायो मास पर काम करने की संभावनाएं हैं. आइटीआइ प्रशिक्षित युवाओं को गाइडेंस मिले : डॉ हरीश हांडे ने कहा कि आइटीआइ प्रशिक्षित युवाओं को सही गाइडेंस की जरूरत है. उन्हें न सिर्फ छोटे-छोटे लोन दिलाने की जरूरत है, बल्कि कोशिश हो कि उनकी क्षमता का इस्तेमाल किया जाये. ग्रामीण इलाके में दक्ष लोग हैं, ऐसे लोगों को पहचान कर उन्हें छोटे-छोटे लोन दिलाने की जरूरत है. बैंकों की लोन देने की नीति ठीक नहीं : डॉ हांडे ने कहा कि बैंकों द्वारा लोन देने की नीति भेदभावपूर्ण है. एक तरफ गारंटी देने के बाद भी अरबों रुपये सरकार का लेकर विजय माल्या जैसे लोग भाग जाते हैं

और बैंक कुछ नहीं कर पाते. वहीं, ग्रामीणों को लोन देने के लिए बैंक गारंटर खोज रहे हैं. भेदभावपूर्ण नीति बदलनी होगी. डिग्री नहीं, दक्षता जरूरी : डॉ हरीश हांडे ने बताया कि उनकी टीम में चार सौ सदस्य हैं. वे किसी की डिग्री पर नहीं, दक्षता पर विश्वास करते हैं. उनकी साधारण लोगों की टीम ने ही 4.50 लाख घरों को सोलर लाइट से रोशन किया है. स्किल इंडिया का मकसद वेल्डर-फीटर तैयार करना न हो : डॉ हांडे ने कहा कि स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम का मकसद वेल्डर व फिटर तैयार करना नहीं बल्कि यह सोचना चाहिए कि योजना से काश्तकार, बढ़ई, लोहार, किसान की पूरी जमात को कैसे दक्ष बनाया जाये. अभी इस पर काम नहीं हो रहा है. 250 स्कूलों में सोलर सिस्टम वाइट बोर्ड से पढ़ाई : डॉ हांडे ने कहा कि कर्नाटक के 250 गांव, जहां बिजली नहीं है, वहां सोलर सिस्टम युक्त प्रोजेक्टर से पढ़ाई होती है. यह प्रयोग सफल है. पीएचडी करने में तीन साल बेकार गंवाया : डॉ हांडे ने बताया कि यूएसए में उन्होंने तीन साल तक पीएचडी करने में गंवाया. बेहतर होता भारत में रहकर काम किया होता. वे मानते हैं कि ऐसे कई युवा हैं, जिन्हें अच्छे प्लेटफॉर्म का इंतजार है.

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