पूर्णत: कृषि एवं प्रकृति पर आधारित इन्हीं परब-त्योहारों में से एक है ‘टुसु परब’. पूस माह में होने के कारण इसे ‘पूस परब’ एवं कहीं-कहीं मकर संक्रांति तक चलने के कारण ‘मकर परब’ भी कहते हैं. पर्व को छोटानागपुर अंचल (वृहद झारखंड क्षेत्र) के सभी आदिवासी-मूलवासी समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते है.
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बाउंडी के साथ टुसू का आगाज, लोहड़ी आज व मकर कल
जमशेदपुर: आज आमादेर मोकोर परब आछे, एक तारिके नालो दू तारिके तोके निये जाबो मेला ते, के दिलो रे लाल साड़ी सरीखे टुसू गीतों से समूचा शहर व गांव-देहात गुंजायमान हो गये है. शुक्रवार से बाउंडी उत्सव के साथ सांस्कृतिक विविधताओं वाले झारखंड में मकर अर्थात टुसू पर्व का आगाज हो जायेगा. पूर्णत: कृषि एवं […]
जमशेदपुर: आज आमादेर मोकोर परब आछे, एक तारिके नालो दू तारिके तोके निये जाबो मेला ते, के दिलो रे लाल साड़ी सरीखे टुसू गीतों से समूचा शहर व गांव-देहात गुंजायमान हो गये है. शुक्रवार से बाउंडी उत्सव के साथ सांस्कृतिक विविधताओं वाले झारखंड में मकर अर्थात टुसू पर्व का आगाज हो जायेगा.
आखाइन जतरा से शुभ कार्य की होगी शुरुआत : आदिवासी-मूलवासी 15 जनवरी को आखाइन जातरा मनायेंगे. पहला माघ को ‘आखाइन जातरा’ के रूप में मनाया जाता है. साल की शुरुआत मानकर इस दिन से ही सारे शुभ कार्य शुरू किये जाते हैं. इस दिन से ही खेत में पहला हल चलाकर खेती की शुरुआत की जाती है, जिसे ‘हालपुनहा’ कहते हैं. इस दिन वधु को भी देखने का चलन है. बाउंडी के दिन शाम में गुड़ पीठा व छांका पीठा तैयार किया जायेगा.
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