जमशेदपुर: अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्टेज (कचरे) को नष्ट करने के लिए इंसीनेटर का प्रयोग करना है लेकिन सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा मेडिकल वेस्टेज को बगल की नालियों में फेंका जा रहा है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी खतरनाक साबित हो सकता है. वेस्टेज में कई ऐसे रसायन हैं जो काफी खतरनाक हैं.
बताया जाता है कि अगर मेडिकल कचरे को 1150 डिग्री सेल्सियस के निर्धारित तापमान पर नहीं जलाया जाये, तो यह डायोक्सिन और फ्युरस जैसे ऑर्गेनिक प्रदूषक पैदा करता है. जिससे कैंसर और प्रजनन सम्बन्धी रोग पैदा हो सकते हैं. साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पडता है. कमोबेश यही हाल निजी क्लिनिकों, सरकारी अस्पतालों,उपस्वास्थ्य केंद्रों व जांच घरों का भी है, जिसके आसपास का क्षेत्र मेडिकल कचरे से पटा हुआ है.
सुविधा है,पर उपयोग नहीं होता
सदर अस्पताल में कचरे को नष्ट करने के लिए प्रयोग में लाने वाला इंसीनेटर उपलब्ध है. लेकिन कमरे की कमी की कारण इसका उपयोग नहीं हो रहा है.
क्या कहता है नियम
मेडिकल वेस्टेज को 48 घंटे के अंदर मानक के अनुसार नष्ट नहीं किया जाता है तो यह मानव जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है. 20 जुलाई 1998 से बिहार जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और नियम 1998 लागू हुआ था. इसमें कानून का उल्लंघन करने वालों पर पांच वर्षों का कारावास या एक लाख रु पये तक का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है.