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यूनियन नेताओं ने दूर की नहीं सोची, कर लिया था समझौता, अब 8% बोनस की भी उम्मीद नहीं
जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन के नेताओं की दूरगामी सोच के अभाव में ही टाटा स्टील के कर्मचारियों को कम बोनस मिलने की स्थिति बन गयी है. कभी 20 फीसदी बोनस देने वाली टाटा स्टील कंपनी में अब 8 फीसदी बोनस मिलने की भी संभावना नहीं है. यूनियन के नेताओं ने ही ऐसा समझौता कर […]
जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन के नेताओं की दूरगामी सोच के अभाव में ही टाटा स्टील के कर्मचारियों को कम बोनस मिलने की स्थिति बन गयी है. कभी 20 फीसदी बोनस देने वाली टाटा स्टील कंपनी में अब 8 फीसदी बोनस मिलने की भी संभावना नहीं है. यूनियन के नेताओं ने ही ऐसा समझौता कर दिया है कि बोनस पर कुछ भी हासिल होने की उम्मीद नहीं है. पिछले साल ही बोनस समझौता हुआ था. समझौता के तहत पहले तो यह कहा गया कि बोनस की राशि उम्मीद से ज्यादा हुई है. लेकिन जब समझौता की कॉपी का अध्ययन किया गया तो हकीकत पता जला. आज भी यूनियन नेता मानने को तैयार नहीं है कि उनकी ओर से कहीं चूक हुई है.
अब सोमवार को बोनस वार्ता संभव : बोनस को लेकर अब सोमवार को वार्ता होने की उम्मीद है. दरअसल, वीपी एचआरएम शहर से बाहर हैं, इस कारण बोनस वार्ता संभव नहीं है. यूनियन के पदाधिकारी वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी का इंतजार कर रहे हैं.
प्रबंधन की रणनीति के आगे कमजोर पड़ी यूनियन
बोनस समझौता को लेकर जो फॉर्मूला बनाया गया और राशि तय की गयी, उसके तहत प्रबंधन की सोच दूरगामी थी ताकि खर्च कम किया जा सके. प्रबंधन द्वारा पेश किये गये आंकड़ों की बाजीगरी में यूनियन के नेता फंस गये और यूनियन कर्मचारियों का हित साधने में कमजोर पड़ गयी. आज स्थिति यह है कि यूनियन के पदाधिकारी मैनेजमेंट के सामने हाथ फैला रहे हैं और मैनेजमेंट पूर्व के एग्रिमेंट का हवाला देकर अपना पक्ष रख रहा है, जिसके आगे यूनियन लाचार नजर आ रहा है.
हालात को देखते हुए किया गया समझौता
हालात को देखते हुए तब बोनस समझौता किया गया था. आने वाले समय में घाटा बढ़ जायेगा, यह सोचा नहीं गया था, जिस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है.
-आर रवि प्रसाद, अध्यक्ष, टीडब्ल्यूयू
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