वहां पहुंचकर उन्हाेंने महिलाआें की कब्रिस्तान परिसर में उपस्थिति पर इमाम के समक्ष विराेध जताया. इस पर इमाम ने उन्हें कहा कि मुंबई हाईकाेर्ट ने इसकी इजाजत प्रदान कर दी है. मतलूब ने कहा कि उक्त मामला मजार से संबंधित था, यहां बात झारखंड की है. जब तक इस मामले पर झारखंड हाईकाेर्ट या फिर यहां के मुफ्ती अपना काेई फैसला नहीं देते हैं तब तक वर्षाें पुरानी परंपरा, जिसमें कहा गया है कि महिलाआें काे कब्रिस्तान में नहीं जाना है जारी रहेगी. थाेड़ी ही देर बाद वहां कब्रिस्तान कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल मजीद, सचिव हाजी अशरफ अली अशरफ समेत काफी संख्या में स्थानीय लाेग जुट गये. हंगामा बढ़ने पर उन्हें कब्रिस्तान से बाहर निकाला गया. इस मामले काे लेकर शहर की कई प्रमुख मसजिदाें के इमाम काे जानकारी प्रदान की गयी है. जुमा की नमाज में इस मामले काे लेकर खुतबा की अपील भी की गयी है.
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कब्रिस्तान में महिला के प्रवेश पर हंगामा
जमशेदपुर. जाकिरनगर कब्रिस्तान में बुधवार काे महिलाआें के प्रवेश काे लेकर हंगामा हाे गया. काफी देर वहां हाे हल्ला हाेने के बाद अहल ए हदीस मसलक के इमाम नकाब पहनी हुई अपनी पत्नी काे लेकर वहां से चले गये. जाकिरनगर कब्रिस्तान कमेटी के मतलूब अनवर खान ने बताया कि वे मसजिद से नमाज पढ़कर जा […]
जमशेदपुर. जाकिरनगर कब्रिस्तान में बुधवार काे महिलाआें के प्रवेश काे लेकर हंगामा हाे गया. काफी देर वहां हाे हल्ला हाेने के बाद अहल ए हदीस मसलक के इमाम नकाब पहनी हुई अपनी पत्नी काे लेकर वहां से चले गये. जाकिरनगर कब्रिस्तान कमेटी के मतलूब अनवर खान ने बताया कि वे मसजिद से नमाज पढ़कर जा रहे थे. इसी दाैरान उन्हें जानकारी मिली की एक मसलक के इमाम नकाब पहनी हुई दाे महिलाअाें के साथ कब्रिस्तान में हैं.
अहल ए हदीस में जनाजे में महिलाआें काे शामिल नहीं हाेना है, लेकिन बाद में वे इक्का-दुक्का कब्रिस्तान जा सकती हैं. इस क्रम में अपनी पत्नी के साथ अपनी मां, जिनका इंतकाल 9 अगस्त काे हुआ है कि मजार पर दुआ के लिए गये थे. उसी दाैरान मतलूब अनवर खान के नेतृत्व में पहुंचे कुछ लाेगाें ने विराेध जताया. उनसे बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात बिगड़ रही थी. इसके बाद वे वहां से चले गये. इस दाैरान उनके साथ उनका भतीजा भी था. आेल्ड पुरुलिया राेड क्रॉस राेड नंबर तीन ईस्ट स्थित मदरसा खातमुल अंबिया, जिसका संचालन ट्रस्ट के तहत हाेता है, उसके वे चेयरमैन हैं.
अकबर एेनी, इमाम, अहल ए हदीस
महिलाअाें काे कब्रिस्तान में नहीं जाना चाहिए. महिलाएं वहां जज्बाती हाे सकती हैं. वहां मातम करने लग सकती हैं. इसलिए उन्हें कब्रिस्तान में जाने से मना किया गया है.
कारी सऊद आलम, इमारत ए शरिया
शरीयत में यह बात साफ है कि महिलाआें काे कब्रिस्तान में नहीं जाना है. कब्रिस्तान में सिर्फ पुरुषाें काे जाना है. हदीस आैर शरीयत एक है. इसलिए इसमें कुछ अलग बात नहीं हाेनी चाहिए. अगर काेई कब्रिस्तान में महिलाआें काे लेकर गये हैं ताे गलत है. इस मामले पर आगे आैर विचार हाेगा.
मुफ्ती अब्दुल मालिक, इमाम, मदीना मसजिद
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