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खुलासा: स्कूलों में ‘सीसीइ’ व ‘प्रयास’ विफल

जमशेदपुर: जिले के सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से 8वीं तक सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीइ) और प्रयास कार्यक्रम विफल है. न तो सीसीइ के तहत मूल्यांकन या परीक्षा हो रही है और न ही सरकार की योजना के तहत संचालित प्रयास कार्यक्रम के तहत विद्यालयों में बच्चों की अनुपस्थिति कम करने की दिशा में कार्य […]

जमशेदपुर: जिले के सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से 8वीं तक सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीइ) और प्रयास कार्यक्रम विफल है. न तो सीसीइ के तहत मूल्यांकन या परीक्षा हो रही है और न ही सरकार की योजना के तहत संचालित प्रयास कार्यक्रम के तहत विद्यालयों में बच्चों की अनुपस्थिति कम करने की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं. बुधवार को जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसइ) के औचक निरीक्षण के दौरान यह खुलासा हुआ.
डीएसइ इंद्र भूषण सिंह ने जमशेदपुर समेत पोटका प्रखंड के आठ विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया, जहां सीसीए व प्रयास कार्यक्रम का अभाव पाया गया. इसे श्री सिंह असंतुष्ट नजर आये. उन्होंने बताया कि संबंधित पदाधिकारियों व शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है.
सीसीइ व प्रयास. विद्यालयों में सीसीइ के तहत हर महीने कक्षाओं में योजनाबद्ध हर विषय के कोर्स को पूरा करने के साथ ही सह शैक्षणिक गतिविधियों में भी बच्चों का मूल्यांकन किया जाना है. परीक्षा का संचालन व रिजल्ट का प्रकाशन भी इसी के अनुसार किया जाना है. वहीं प्रयास कार्यक्रम के तहत शिक्षक संख्या के अनुसार बच्चों को अलग-अलग हाउस में बांटना है. इसमें शिक्षक लीडर, एक छात्र कैप्टन व एक को-ऑर्डिनेटर बनाना है. फिर सर्वप्रथम महीने में कम से कम तीन दिन, 15 व हमेशा अनुपस्थित रहनेवाले बच्चों को चिह्नित करना है. अनुपस्थित रहनेवाले बच्चों के घर उन्हें जाकर विद्यालय आने के लिए प्रेरित करना है. विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व ड्रॉप आउट की समस्या से निपटने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जाता है, लेकिन निरीक्षण के क्रम में विद्यालयों में सीसीइ व प्रयास कार्यक्रम दोनों का अभाव पाया गया.
सुधार नहीं, तो कार्रवाई : डीएसइ
डीएसइ श्री सिंह ने बताया कि इन आठ में से कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय पोटका को छोड़ सात विद्यालयों को 15 दिनों का समय दिया गया है, यदि अब भी सुधार नहीं हुआ, तो विभागीय स्तर के तहत कार्रवाई की जायेगी. संबंधित विद्यालयों के सभी 33 शिक्षक-शिक्षिका तथा प्रखंड के बीइइओ, बीपीओ व सीआरपी से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है. 15 दिनों बाद पुन: इन विद्यालयों का निरीक्षण किया जायेगा. तब भी यही स्थिति पायी गयी, तो वेतन रोकने अथवा काटने की कार्रवाई तय है.
बदली उपस्थिति की परिभाषा
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति की परिभाषा बदल चुकी है. केवल अटेंडेंस रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज कराने मात्र से काम नहीं चलेगा, बल्कि सीसीइ व प्रयास के तहत कक्षाओं का संचालन, मूल्यांकन व बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा अटेंडेंस रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज होते हुए भी शिक्षक अनुपस्थित माने जायेंगे. इस पर वेतन रोकने अथवा कटौती की भी कार्रवाई हो सकती है.

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