पटमदा: एशिया में हाथियों के लिए मशहूर दलमा में इन दिनों जल संकट गहराने लगा है. वन विभाग ने जल संकट के मद्देनजर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अंतर्गत आने वाले दलमा चोटी स्थित एक मात्र वन विश्रामागार पिंडराबेड़ा (गेस्ट हाउस) की बुकिंग बंद कर दी है. पिंडराबेड़ा गेस्टहाउस के बाहर विभाग द्वारा जल स्रोत […]
पटमदा: एशिया में हाथियों के लिए मशहूर दलमा में इन दिनों जल संकट गहराने लगा है. वन विभाग ने जल संकट के मद्देनजर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अंतर्गत आने वाले दलमा चोटी स्थित एक मात्र वन विश्रामागार पिंडराबेड़ा (गेस्ट हाउस) की बुकिंग बंद कर दी है.
पिंडराबेड़ा गेस्टहाउस के बाहर विभाग द्वारा जल स्रोत के लिए गाड़ी गई एक मात्र डीप बोरिंग पूरी तरह सूख चुकी है. दलमा स्थित बाकी जलाशय भी धीरे-धीरे सूखने लगे हैं. गेस्ट हाउस से 100 मीटर की दूरी पर स्थित कुएं में पानी का जलस्तर भी काफी नीचे (करीब 25 फीट) चला गया है. इसी कुएं के भरोसे पिंडराबेड़ा गेस्ट हाउस में रहने वाले विभाग के अधिकारी व कर्मचारी किसी तरह से अपना गुजारा कर रहे हैं.
पिंडराबेड़ा गेस्ट हाउस पयर्टकों में काफी लोकप्रिय है. दलमा की चोटी पर स्थित होने के कारण जमशेदपुर शहर का पूरा नजारा भी यहां आसानी से दिखता है.
साथ ही छोटका बांध, मंझला बांध, बड़का बांध और निचला बांध के नजदीक होने के कारण हाथियों को भी दिन में कभी भी यहां से आसानी से देखा जा सकता है. दलमा में हाथियों के आगमन समयकाल होने के कारण पिंडराबेड़ा गेस्ट हाउस इन महीनों में पूरी तरह बुक रहता था, लेकिन इसमें बुकिंग बंद हो जाने से न सिर्फ पयर्टकों की संख्या घटेगी, बल्कि पर्यटकों को हाथियों को देखने में भी काफी मुश्किल होगी.
दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी की सुरक्षा व पर्यटकों के लिए बनाये गये पिंडराबेड़ा गेस्ट हाउस काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. बोरिंग के सूख जाने से विभाग को राजस्व की काफी हानि हो रही है. जमीन से डेढ़ हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित पिंडराबेड़ा गेस्ट हाउस अब सूना पड़ा है.
कलेश्वर भगत, वनरक्षी