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ऐसी पंचायत जहां के लोग नहीं जाते थाने

जमशेदपुर: मध्य प्रदेश के सीहोर जिलांतर्गत निपानियाकलां ग्राम पंचायत को पंचायत सशक्तीकरण एवं जवाबदेही पुरस्कार योजना के तहत भारत सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत अवार्ड के लिए चुना गया है. चयन से पूर्व एक टीम ने इस पंचायत का दौरा कर यहां का काम और गतिविधियां देखीं तथा गांव के लोगों की जागरूकता […]

जमशेदपुर: मध्य प्रदेश के सीहोर जिलांतर्गत निपानियाकलां ग्राम पंचायत को पंचायत सशक्तीकरण एवं जवाबदेही पुरस्कार योजना के तहत भारत सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत अवार्ड के लिए चुना गया है. चयन से पूर्व एक टीम ने इस पंचायत का दौरा कर यहां का काम और गतिविधियां देखीं तथा गांव के लोगों की जागरूकता और प्रतिबद्धता से प्रभावित हुए.

24 अप्रैल को जमशेदपुर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों यह पुरस्कार दिया जायेगा. सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत के अवार्ड के लिए चयनित निपानियाकलां पंचायत पंचायती राज की अवधारणा की हर कसौटी पर खरा उतरती है.

पिछले 20 सालों में थाने में एक भी मामला दर्ज नहीं. निपानियाकलां पंचायत के गांव में आपस में कभी कोई विवाद नहीं होता. मिलजुल कर लोग मामले को निपटा लेते हैं. 1995 के बाद इस गांव का एक भी मामला थाने तक नहीं पहुंचा. 1965 की आबादी वाले इस गांव के 85 फीसदी लोग शिक्षित हैं. 250 से ज्यादा लोग सरकारी सेवा में हैं.

शिक्षा और गांव के विकास के प्रति समर्पित. इस गांव के लोग अपने बच्चों की शिक्षा और गांव के विकास के प्रति समर्पित हैं. गांव में जनसहयोग से स्कूल भवन बनवाने के साथ-साथ पंचायत को पूरी जवाबदेही के साथ समय पर संपत्ति कर अदा करते हैं. पंचायत कर के रूप में प्रत्येक साल यहां से 40 हजार रुपये वसूले जाते हैं जिससे ग्रामीणों को सुविधायें मुहैया करायी जाती हैं. सरकारी जमीन पट्टा पर देने से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह पंजीयन, समय पर पेंशन वितरण तक का काम पूरी जवाबदेही से किया जाता है.

जनसहयोग से बनाया स्कूल भवन

ग्रामीण रामनारायण चौधरी के मुताबिक वर्ष 2001 में गांव के हाइस्कूल की परीक्षा का सेंटर खंडवा गांव में बनाया गया जो निपानियाकलां से काफी दूर है. जब तत्कालीन कलक्टर से गांव में सेंटर बनाने का आग्रह किया गया तो उन्होंने स्कूल भवन न होने की बात कही. इस पर ग्रामीणों ने 2.60 लाख रुपये इकट्ठा कर स्कूल भवन बनवा दिये.

काम कराने के बदले कभी नहीं दी रिश्वत

इस गांव के एक बुजुर्ग कैलाशचंद्र चौधरी के मुताबिक इस गांव में 250 लोग सरकारी कर्मचारी, 50 से भी अधिक युवा सेना में हैं. लेकिन नौकरी पाने से लेकर सरकारी काम कराने तक में कभी किसी ने रिश्वत नहीं दी. सभी अपनी योग्यता और क्षमता से आगे बढ़े. यहां तक कि इस पंचायत के लोग सरकारी काम कराने में भी न तो रिश्वत देते हैं न यहां के लोगों से ऐसी मांग की जाती है.

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