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कम मैनपावर में ज्यादा काम पर मिलेगा लाभ

जमशेदपुरः टाटा स्टील में विभागों के रिऑर्गेनाइजेशन पर बेनीफिट को लेकर समझौता हो गया. वर्ष 2008 से अब तक कई विभागों का रिऑर्गेनाइजेशन हो चुका है, लेकिन कर्मचारियों को उसका बेनीफिट नहीं मिल पा रहा था. मैनेजमेंट का कहना था कि कर्मचारियों को जो भी इंक्रीमेंट या बेनीफिट होगा, वह एकमुश्त पैकेज के तौर पर […]

जमशेदपुरः टाटा स्टील में विभागों के रिऑर्गेनाइजेशन पर बेनीफिट को लेकर समझौता हो गया. वर्ष 2008 से अब तक कई विभागों का रिऑर्गेनाइजेशन हो चुका है, लेकिन कर्मचारियों को उसका बेनीफिट नहीं मिल पा रहा था.

मैनेजमेंट का कहना था कि कर्मचारियों को जो भी इंक्रीमेंट या बेनीफिट होगा, वह एकमुश्त पैकेज के तौर पर मिलेगा. उसे वेतन में नहीं जोड़ा जायेगा. यूनियन अड़ी थी कि जो भी इंक्रीमेंट या बेनीफिट तय हो, वह कर्मचारियों के वेतन (बेसिक) में जोड़ा जाये. अंतत: टाटा स्टील के एमडी हेमंत मधुसूदन नेरुरकर और अध्यक्ष पीएन सिंह ने इस पर बातचीत की. मैनेजमेंट राजी हो गया कि कर्मचारियों का बेनीफिट बेसिक में जोड़ा जाये. समझौता एक मई 2013 से एक मई 2023 तक (10 साल) के लिए किया गया है.

समझौता में ये थे शामिल
टाटा स्टील के एमडी हेमंत मधुसूदन नेरुरकर, वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी, जीएम आइआर आरपी सिंह, पीएन प्रसाद, जुबिन पालिया, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष पीएन सिंह, महामंत्री बीके डिंडा, डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी टुन्नु

क्या है रिऑर्गेनाइजेशन और बेनीफिट
टाटा स्टील के विभिन्न विभागों में मैनपावर (कर्मचारियों की संख्या) तय करने को रिऑर्गेनाइजेशन कहते हैं, जो जरूरत के हिसाब से घटाया या बढ़ाया जाता है. जिन विभागों में तय मैनपावर से कम पर ज्यादा प्रोडक्शन मिलता है, उस विभाग के कर्मचारियों को बेनीफिट (अतिरिक्त लाभ) दिया जाता है ताकि प्रोडक्शन का लेवल बरकरार रहे और कर्मचारियों का मोटिवेशन लेवल भी हाई रहे.

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