जमशेदपुर: 1971 युद्ध के असली हीरो रहे मिग- 21 एफएल फाइटर प्लेन भारतीय वायु सेना से आखिरकार विदा हो गये. 90 के दशक में मिग 21 एफएल के कई फाइटर प्लेन के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना के बाद रक्षामंत्रालयने इसकी जांच के लिए भारतीय वायु सेना के अधिकारियों को एशिया की सबसे बड़ी धातुकर्म प्रयोगशाला बर्मामाइंस की सीएसआइआर-एनएमएल के वैज्ञानिकों से सहयोग लेने को कहा था.
दुर्घटनाग्रस्त हुए मिग- 21 एफएल के कई अलग-अलग पार्ट्स को जांच के लिए बर्मामाइंस स्थित प्रयोगशाला में लाया गया था. एनएमएल की प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जांचोपरांत इस बात की पुष्टि की थी कि पर्याप्त मात्रा में इंजन को तेल नहीं मिल पाने के कारण वहां आंशिक वैक्यूम गैप की स्थिति पैदा हो जा रही थी, जिसके कारण मिग- 21 एफएल का इंजन बंद हो जाता था और वह दुर्घटना का शिकार हो रहा था.
दुर्घटनाग्रस्त हवाई जहाज के कई पार्ट्स की अलग-अलग तरीके से जांच के बाद यह बात पकड़ में आयी थी कि मेटल पाइप जहां से फ्यूल निकलता है, वहां ब्लॉक हो जाता है. इंजन और फ्यूल पाइप मेटेलिक होता है, जिसमें कार्बन जम जाता था. इस कारण वह डैमेज हो जाता है. सीएसआइआर-एनएमएल द्वारा भेजे गये कई तरह के सुझावों को भारतीय वायु सेना ने स्वीकार कर उसमें आवश्यक सुधार किये थे.
मिग 21 एफएल एक नजर में 1971 युद्ध के असली हीरो रहे मिग 21 एफएल भारतीय वायु सेना से विदा हो गया. पश्चिम बंगाल के कलाइकुंडा एयरबेस से मिग- 21 को आखिरी बार उड़ाया गया. अब 15 मिग- 21 को पूरी तरह से सेना से हटा लिया गया है. मिग- 21 को 2025 तक पूरी तरह से सैन्य शक्ति से हटा लिया जायेगा. 1962 में भारत रूस के बीच मिग 21 एफएल विमानों के लिए समझौता हुआ था . 1963 में मिग एफ की पहली खेप भारत पहुंची थी. रख- रखाव में काफी कम लागत के कारण यह पीपुल्स फाइटर के नाम से मशहूर रहा. कारगिल लड़ाई में भी इसकी निर्णायक भूमिका रही थी.
सेना ने मानी थी एनएमएल के सुझाव
दुर्घटनाग्रस्त मिग 21 एफएल के पार्ट्स को इंडियन एयरफोर्स द्वारा एनएमएल में भेजा गया था, जिसमें यह पूछा गया था कि आखिर इसकी उड़ान के दौरान इंजन क्यों बंद हुआ और एक्सीडेंट की मुख्य वजह क्या है. इसकी जांच के बाद विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी. हमारे कुशल वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये सुझावों को भारतीय वायु सेना ने माना भी और काफी सुधार किये, जिससे मिग के गिरने की घटनाओं में काफी कमी आयी. एनएमएल द्वारा राष्ट्र के प्रमुख संस्थानों के उत्थान के लिए समय-समय पर उन्हें बेहतर सुझाव दिये जाते हैं.
डॉ एनजी गोस्वामी, वरीय वैज्ञानिक, एनएमएल