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सरायकेला-खरसावां की टुसू प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ

सरायकेला-खरसावां की टुसू प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ फ्लैग::: सर्वश्रेष्ठ चौड़ल का पुरस्कार कुइयानी (बोड़ाम) की टीम कोफोटो- मनमोहन की लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरभुइयांडीह दुर्गा पूजा मैदान में रविवार को आयोजित टुसू मेेेले में सरायकेला-खरसावां निवासी शहरी महतो की श्रीश्री सार्वजनिक टुसू समिति को सर्वश्रेष्ठ टुसू प्रतिमा का पुरस्कार मिला. द्वितीय पुरस्कार वीणापाणी क्लब गालूडीह (घाटशिला) के दिवाकर […]

सरायकेला-खरसावां की टुसू प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ फ्लैग::: सर्वश्रेष्ठ चौड़ल का पुरस्कार कुइयानी (बोड़ाम) की टीम कोफोटो- मनमोहन की लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरभुइयांडीह दुर्गा पूजा मैदान में रविवार को आयोजित टुसू मेेेले में सरायकेला-खरसावां निवासी शहरी महतो की श्रीश्री सार्वजनिक टुसू समिति को सर्वश्रेष्ठ टुसू प्रतिमा का पुरस्कार मिला. द्वितीय पुरस्कार वीणापाणी क्लब गालूडीह (घाटशिला) के दिवाकर महतो की टीम को दिया गया. आसनबनी-बांधडीह के सुखदेव पात्रो, लायलम के मुरलीधर सिंह व झलियाबेड़ा के भुटी सरकार की टीम को क्रमश: तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम पुरस्कार दिया गया. सांत्वना पुरस्कार मिदनाबेड़ा के भीम दिगर एवं उलीडीह के राजू लोहार को दिया गया. सर्वश्रेष्ठ चौड़ल का पुरस्कार कुइयानी (बोड़ाम) निवासी मदन हेंब्रम के टीम को दिया गया. सांत्वना पुरस्कार पहाडि़या बोड़ाम के संजय सिंह सरदार को दिया गया. टुसू मेले का आयोजन झारखंड सांस्कृततिक कला रंग मंच की ओर से किया गया था. मुर्गा लड़ाई अब परंपरा का हिस्सा नहीं : चंपई मुख्य अतिथि सरायकेला के विधायक सह पूर्व मंत्री चंपई सोरेन, विशिष्ट अतिथि सुमन महतो, प्रमोद लाल, रोड़ेया सोरेन, मोहन कर्मकार, देवजीत मुखर्जी, बलदेव भुइयां, मन्न्वर हुसैन, श्यामल सरकार, सागेन पूर्ति थे. श्री सोरेन ने कहा कि टुसू झारखंडियों का महापर्व है. लोग करीब एक सप्ताह तक अपने काम-काज को छोडकर केवल आनंद-उत्सव में लिप्त रहते हैं. शहर से लेकर गांव तक टुसू पर्व की खुमारी रहती है. पर्व के बहाने लोग अपने मेहमानों व रिश्तेदारों से मिलते हैं. एक-दूसरे से मिलने का यह बहुत बड़ा अवसर भी है. उन्होंने मुर्गा लड़ाई के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि मुर्गा लड़ाई तभी तक परंपरा थी, जब तक वह जुआ नहीं थी. यह अब जुआ का हिस्सा हो चुकी है. इसलिए अब इसका परंपरा से कोई वास्ता नहीं रहा गया है. मेले के आयोजन में कृष्णा भुइयां, निमाई मंडल बलदेव भुइयां, रवींद भट्टाचार्य, खोगेन महतो, गणेश शंकर विद्यार्थी, स्वपन करुआ, कमल यादव, कुंज विभार, उमाकांत दास, राजू सामंत, राजकुमार मंडल, नाइमन लकड़ा, भोला सिंह, अनिल कुमार कांडी, सुबोल प्रमाणिक का योगदान रहा.

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