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मदहोश करती माउथ ऑर्गन की धुन:::::संपादित

मदहोश करती माउथ ऑर्गन की धुन:::::संपादितहारमोनिका, जिसे माउथ ऑर्गन भी कहा जाता है. यह देखने में जितना छोटा है, इसकी आवाज उतनी ही सुरमयी है. ब्लैक एंड ह्वाइट के दौर में यह वाद्य यंत्र सिनेमा से इतना पापुलर था कि काफी लोग इसे बजाना व सुनना पसंद करते थे. लेकिन, समय गुजरने के साथ माउथ […]

मदहोश करती माउथ ऑर्गन की धुन:::::संपादितहारमोनिका, जिसे माउथ ऑर्गन भी कहा जाता है. यह देखने में जितना छोटा है, इसकी आवाज उतनी ही सुरमयी है. ब्लैक एंड ह्वाइट के दौर में यह वाद्य यंत्र सिनेमा से इतना पापुलर था कि काफी लोग इसे बजाना व सुनना पसंद करते थे. लेकिन, समय गुजरने के साथ माउथ ऑर्गन का इस्तेमाल न केवल सिनेमा से दूर होता चला गया, बल्कि युवाओं का रुझान भी कम हुआ. वर्तमान में युवा जहां वेस्टर्न, रैप म्यूजिक को सुनना, गाना व बजाना पसंद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहर के हारमोनिका फैंस क्लब ने माउथ ऑर्गन की आवाज आज भी कायम रखी है. हारमोनिका व इससे जुड़े शहरवासियों की कहानी पेश करती लाइफ @ जमशेदपुर की खास रिपोर्ट. फिर से लौट रहा पुराना दौरयुवाओं की टीम को लीड करते असीम कुमार बनर्जी ने जमशेदपुर हारमोनिका फैंस क्लब का निर्माण 2014 में किया, ताकि इस कला को जीवंत रखा जाये. असीम बताते हैं कि दूसरे राज्यों में भी हारमोनिका क्लब हैं. यह समय समय पर कार्यक्रमों करते रहते हैं. वहीं, जो लोग माउथ ऑर्गन बजाने के शौकीन थे, वे क्लब से जुड़ते चले गये और इस तरह एक ग्रुप बन गया. ग्रुप के ज्यादातर सदस्य युवा हैं. असीम बताते हैं कि जिस प्रकार फैशन से लेकर संगीत तक में पुरानी चीजों का चलना फिर से बढ़ता जा रहा है, ऐसे में माउथ ऑर्गन का भी दौर लौट रहा है और युवाओं की दिलचस्पी इस ओर बढ़ रही है. मिलन गुप्ता के शागिर्द रह चुके हैं असीम असीम कुमार बनर्जी बताते हैं कि अपने समय के मशहूर हारमोनिका वादक मिलन गुप्ता से उन्होंने यह कला सीखी. वे बताते हैं कि 1985 से 1989 के दौरान कलकत्ता में जिऑर्ज टेलीग्राफ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ायी करने के दौरान एक दोस्त के माध्यम से उनसे मुलाकात हुई. बचपन से ही मैं हारमोनिका बजाना चाहता था. यह वह दौर था, जब मैंने वाद्य यंत्र को बजाना सीखा व आज भी यह शौक कायम है. असीम बनर्जी ने बीते वर्षों में दूरदर्शन पर प्रस्तुति देने के साथ-साथ दिल्ली, हैदराबाद, कलकत्ता, रानीगंज आदि जगहों में भी परफॉर्मेंस देकर लोगों के दिलों पर छाप छोड़ी है. असीम बताते हैं कि हम ज्यादातर अपनी परफॉर्मेंस पुराने गीतों के ट्रैक पर ही देते हैं. इनमें किशोर कुमार, आशा भोंसले व लता मंगेश्कर के गीत शामिल हैं.हारमोनियम का छोटा रूप है हारमोनिकासांस को छोड़ने व सांस लेने पर माउथ ऑर्गन बजता है. असीम बनर्जी बताते हैं कि यह हारमोनियम का ही छोटा रूप है. इसमें 10, 12, 16 होल वाले प्रोफेशनल माउथ ऑर्गन मिलते हैं. इसमें बटन भी हैं. इन्हें दबाने पर सुर निकलते हैं. हारमोनियम जैसे ही इनकी बटन दबाने से सुर निकलते हैं. भारत में हारमोनिका का निर्माण नहीं होता है. ऐसे में प्रोफेशनल माउथ ऑर्गन को जर्मन, शंघाई सहित अन्य जगहों से मंगाया जाता है. इसकी अधिकतम कीमत तीन लाख रुपये तक है.हारमोनिका व उसकी खासियत सुपर क्रोमोनिका 270 : जर्मनी की होनर कंपनी इसका निर्माण 1857 से करती आ रही है. इसकी कीमत 12 हजार रुपये हैं. इसमें 15.5 सेंटीमीटर के 12 होल होते हैं. इसकी रीडप्लेट्स को तांबे से तैयार किया गया है. ओवर ब्लोस को एडजस्ट करना भी काफी आसान है. विश्व का छोटा हारमोनिका : जर्मन की होनर कंपनी द्वारा निर्मित यह माउथ ऑर्गन कई मायनों में खास है. इसमें ब्रास रीड्स का इस्तेमाल किया गया है. इस कारण सामान्य माउथ ऑर्गन के जैसे ही साउंड सुनायी देता है. 3.5 सेंटीमीटर के इस हारमोनिका को लोग लॉकेट व की-चेन के तौर पर भी पहनते हैं. टीम के सदस्य :::::::::मैं पिछले 15 सालों से माउथ ऑर्गन बजाता आ रहा हूं. आज के समय में हमारा खुद का ग्रुप है. हम जगह-जगह परफॉर्मेंस देते हैं. माउथ ऑर्गन को बजाना व परफॉर्मेंस देना दोनों ही सुखमय अनुभव है. -उज्जल दत्ता, बर्मामाइंसजब मैं स्टूडेंट था तब मैं अपने इस शौक को पूरा नहीं कर पाया था. आज मैं वर्किंग हूं, तो इस शौक को पूरा कर रहा हैं. माउथ ऑर्गन को सीखना व खाली समय में इसे बजाने से काफी सुकून मिलता है. -सुमित कुमार सिंह, कदमाशुरुआत से ही मुझे माउथ ऑर्गन बजाने का काफी शौक था. जब मैंने अपने भांजे को बजाते हुए देखा तो मैंने इसे बजाना शुरू किया. इसका एहसास ही काफी अलग है. दूसरे वाद्य यंत्र की तुलना में यह काफी सुकून पहुंचाता है. -शंभू कुमार, कदमामाउथ ऑर्गन को बजाते हुए एक दर्शक के तौर पर मैंने भी सुना था. तब से सीखने की ललक मुझमें जगी. मैं सालों से माउथ ऑर्गन बजाता आ रहा हूं. -सुदीप कुमार दत्ता, सोनारीफिल्म शोले में ऐसी धुन थी, जिसके कारण मैंने माउथ ऑर्गन बजाना सीखा. इसके बाद इस वाद्य के प्रति मेरा लगाव बढ़ा. वहीं, इसे बजाकर काफी संतुष्ट महसूस करता हूं. -अरुणवा दास, बाराद्वारीजब से मैंने माउथ ऑर्गन बजाते हुए परफॉर्मेंस देखा, तब से मुझे भी बजाने की जिज्ञासा हुई. परफॉर्मेंस में तो हम सभी बजाते ही हैं. साथ ही अपने खाली समय में मैं इसे बजाता हूं. -अरुप मुकुटी, साकची

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