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युवतियों को नौकरी देने में परहेज कर रही कंपनियां

युवतियों को नौकरी देने में परहेज कर रही कंपनियां – योग्यता व डिग्री होने के बाद भी भर्ती कैंप में नही हो पा रहा चयन- महिलाओं के चयन से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे प्रबंधक – वर्ष 2015 में भरती कैंप व रोजगार मेला में बहुत युवतियों का हुआ चयन निखिल सिन्हा, जमशेदपुर कंपनियों […]

युवतियों को नौकरी देने में परहेज कर रही कंपनियां – योग्यता व डिग्री होने के बाद भी भर्ती कैंप में नही हो पा रहा चयन- महिलाओं के चयन से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे प्रबंधक – वर्ष 2015 में भरती कैंप व रोजगार मेला में बहुत युवतियों का हुआ चयन निखिल सिन्हा, जमशेदपुर कंपनियों अपनी कार्यशैली और विवाद के कई मामले सामने आने के बाद कंपनियां युवतियों को नौकरी देने से कतरा रही हैं. युवतियों के पास डिग्री और योग्यता होने के बाद भी उनका चयन नहीं हो पा रहा है. इससे शिक्षित युवतियों का मनोबल गिर रहा है. जमशेदपुर स्थित अवर प्रादेशिक नियोजनालय के सहायक निदेशक शशि भूषण झा ने बताया कि कंपनियां लगातार भरती कैंप लगा रही हैं. वहीं रोजगार मेला भी लग रहा है. इस दौरान देखा गया है कि कंपनियां युवतियों का चयन करने से कतरा रहीं हैं. वर्ष 2015 में आयोजित भर्ती कैंप और रोजगार मेला में 1678 युवकों का चयन हुआ. वहीं इस दौरान मात्र 31 युवतियों का ही चयन किया गया. जबकि 2014 व 2013 में 200 से अधिक युवतियों का चयन किया गया था. श्री झा ने बताया कि युवतियों का चयन नहीं होना समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है. हाल के दिनों में भर्ती कैंप में आयी एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि मैनेजमेंट महिला कर्मचारी को चयन से कतरा रही है. उन्हें लगता है कि महिलाओं का चयन कंपनी के लिए ज्यादा हितकर नहीं है. एचआर विभाग के पदाधिकारी भी पुरुष कर्मचारी का चयन को लाभदायक बता रहे हैं. —————————बीपीओ से कतरा रही युवतियांहाल के दिनों में देखा गया है कि इंजीनियरिंग और मैनेंजमेंट की डिग्री लेने के बाद भी युवतियों को बीपीओ में चयन किया जा रहा है, हालांकि युवतियां ऐसी नौकरी से कतरा रही हैं. ———————————–जनरल शिफ्ट की नौकरी मुख्य कारण सहायक निदेशक श्री झा ने बताया कि कंपनी में महिलाओं से जनरल शिफ्ट में ही काम कराया जाता है. इस कारण से भी कंपनियां महिलाओं को चयनित नहीं कर रही है. एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि अगरा वह पुरुष कर्मचारी का चयन करेंगे, तो दिन या रात कभी भी काम ले सकते हैं. महिला कर्मचारी के साथ वह ऐसा नहीं कर सकते हैं. बीते तीन वर्ष में हुआ नियोजन वर्ष – पुरुष – महिला 2013- 1664-2112014- 828- 2222015-1678-31 ———————————-कोट शिक्षित महिलाओं के प्रति नियोजकों को दृष्टिकोण में बदलाव की जरुरत है. तकनीक और योग्यता प्राप्त महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. उनका प्लेसमेंट नहीं होना. महिला वर्ग की बेरोजगारी बढ़ना समाज के लिए गलत संकेत है. चयन प्रक्रिया में बदलाव जरुरी है. – शशि भूषण झा, सहायक निदेशक, अवर प्रादेशिक नियोजनालय,जमशेदपुर. \\\\B

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