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बैठें तो टॉपिक कंपलीट करके ही उठें

बैठें तो टॉपिक कंपलीट करके ही उठें सौम्यजीत नायकमार्क्स : 96 प्रतिशत रैंक : स्कूल टॉपर संकाय : साइंस स्कूल : आरवीएस एकेडमी, डिमना रोड बोर्ड : आइएससीमाता-पिता : तुहीना नायक-सुकुमार नायक लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैं 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में भी 10वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट दोहराना चाहता था. 10वीं में मुझे […]

बैठें तो टॉपिक कंपलीट करके ही उठें सौम्यजीत नायकमार्क्स : 96 प्रतिशत रैंक : स्कूल टॉपर संकाय : साइंस स्कूल : आरवीएस एकेडमी, डिमना रोड बोर्ड : आइएससीमाता-पिता : तुहीना नायक-सुकुमार नायक लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैं 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में भी 10वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट दोहराना चाहता था. 10वीं में मुझे 95 प्रतिशत मार्क्स आये थे. इसलिए, मैंने 95 प्रतिशत का लक्ष्य रखा था. मैंने सोच लिया था कि मुझे हर हाल में इतना या इससे अधिक अंक लाना है. मैंने इसी हिसाब से तैयारी की थी. बोर्ड परीक्षा में मुझे आशा के अनुरूप अंक मिले. टॉपिक खत्म कर उठता था मैं कहना चाहता हूं कि तैयारी के लिए समय महत्वपूर्ण नहीं होता. आप जब किसी टॉपिक को पढ़ रहे हैं, तो वह जब तक खत्म नहीं हो जाता, उठना नहीं चाहिए. चाहे इसमें जितनी देर लग जाये या जल्दी ही हो जाये. मैं ऐसा ही करता था. हालांकि, सभी का तैयारी करने का अपना-अपना तरीका होता है. मैं कहना चाहती हूं कि अच्छी तैयारी के लिए प्री बोर्ड तक रीविजन के साथ सिलेबस पूरा कर लेना चाहिए. मैंने ऐसा ही किया था. मॉडल पेपर से मिली मददमैंने मॉडल पेपर से तैयारी की थी. साइंस के लिए फ्रेंक एंथनी का मॉडल टेस्ट पेपर सॉल्व किया था. मैं कहना चाहता हूं कि सभी को मॉडल पेपर जरूर सॉल्व करना चाहिए. इससे आपको कितने समय में एक पेपर सॉल्व हो रहा है, इस बारे में पता चल जाता है. साथ ही परीक्षा के बारे में आइडिया भी लग जाता है. क्वेश्चन बैंक से की प्रैक्टिस मैंने क्वेश्चन बैंक से भी प्रैक्टिस की थी. इसमें कुछ सॉलव्ड और कुछ अनसॉलव्ड होते हैं. मैं अनसॉलव्ड प्रश्न को पहले खुद से बनाने की कोशिश करता था. नहीं बनने पर टीचर से पूछता था. प्री बोर्ड के बाद भी स्कूल जाने की सुविधा थी. इसलिए, मैं कई बार स्कूल जाकर टीचर से पूछ लेता था. खुद का नोट्स जरूर बनायें मैं छात्रों से कहना चाहता हूं कि वे खुद का नोट्स जरूर बनायें. यह स्कूल की तरफ से मिलने वाले नोट्स से अलग होगा. अपने नोट्स से रीविजन करने में काफी सहायता मिलती है. मेरे विचार से 12वीं बोर्ड के लिए पाठ्य पुस्तक काफी होती है. इसके लिए अतिरिक्त किताब पढ़ने की जरूरत नहीं. भाई के साथ की पढ़ायीघर में सभी का सपोर्ट मिला. मेरा भाई सौम्यदीप भी मेरे साथ ही पढ़ता है. घर पर हम दोनों साथ में पढ़ते थे. टॉपिक पर डिस्कशन करते थे. इससे पाठ याद करना आसान होता था. वर्तमान में मैं मेडिकल प्रीपरेशन के लिए एक साल का कोर्स कर रहा हूं. मैं डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखता हूं. बात पते की – अपने वीक प्वाइंट्स पर ध्यान दें, उसे जल्दी दूर करें – सभी विषय पर बराबर ध्यान दें, कठिन विषयों को इग्नोर न करें – सकारात्मक सोचें और कॉन्फिडेंट रहें, एग्जाम में डिलीवरी का यह सही तरीका है

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