वहीं 1999 में राउरकेला जाने के क्रम में जमशेदपुर में कुछ देर के लिए ठहरे थे. विहिप के सिंहभूम शाखा के अध्यक्ष सुमन अग्रवाल ने बताया कि अशाेक सिंघल सादा जीवन आैर उच्च विचार के स्वामी थे. अपनी तार्किक शब्द शक्ति से वे हर किसी काे अपनी आेर आकर्षित करने में सफल हाे जाते थे. समाज सुधार के लिए विहिप द्वारा चलाये गये कई कार्यक्रम का उन्हाेंने नेतृत्व किया.
श्री अग्रवाल ने बताया कि जमशेदपुर प्रवास के दाैरान अशाेक सिंघल का भाेजन दायित्व उन पर ही रहता था. तेल-मसाला के बगैर सादा आैर काफी कम मात्रा में आहार ग्रहण करते थे. अशाेक सिंघल ने अपना सारा जीवन हिंदू समाज की एकजुटता व भारत माता की सेवा में व्यतीत किया. वे हिंदू समाज में छुआ-छूत समाप्त करने व दलिताें काे सम्मान दिलाने में लगे रहे. अशाेक सिंघल की जिंदगी का एक ही सपना था- अयाेध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण.