कर्मयोग है गीता का साधना मार्ग (फोटो हैरी की होगी)फ्लैग : सीआइआरडी में साधना शिविर का दूसरा दिन, स्वामी निर्विशेषानंद ने कहालाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरआत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में चल रहे माह व्यापी साधना शिविर के दूसरे दिन स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने श्रीमद्भगवदगीता में भगवत प्राप्ति के लिए बताये गये दो मार्गों की चर्चा की. उन्होंने बताया कि इनमें एक मार्ग है ज्ञान का और दूसरा कर्मयोग का. उन्होंने कहा कि साधक कौन सा मार्ग अपनाये, यह उसकी योग्यता पर निर्भर करता है, उसकी इच्छा पर नहीं. साधक को वही मार्ग अपनाना चाहिए, जिस पर चलने के लिए वह उपयुक्त है. मन में अगर कामनाएं शेष हैं, तो पहले कर्मयोग का मार्ग अपना कर उन्हें क्षीण कर लेना चाहिए, अंतःकरण की शुद्धि कर लेनी चाहिए. कर्मयोग का मार्ग सर्वसाधारण के लिए है जो सुगम भी है. वास्तव में इसे ही भगवद्गीता का मार्ग कहा जाता है. अर्जुन युद्ध छोड़ जंगल में रह कर संन्यासी बनना चाहते थे, अर्थात् वे ज्ञान मार्ग अपनाना चाहते थे, किन्तु उनके मन में युद्ध करने की वासना थी. श्रीकृष्ण अर्जुन को जानते थे, इसीलिए उन्हें बताया कि ज्ञानमार्ग उनके लिए नहीं है. ज्ञान का मार्ग उनके लिए उपयुक्त है, जिनके मन में कोई कामना नहीं रह गयी हो. साधना शिविर में शामिल होने वाले सभी साधक आश्रम में ही रहकर आश्रम की सभी गतिविधियों में शामिल होते हैं. नित्य उन्हें कक्षाओं में उपनिषद का ज्ञान दिया जाता है. कार्यक्रम में डॉ एनके दास, नीरा नंदवानी, डॉ आलोक सेनगुप्ता आदि का सहयोग प्राप्त हो रहा है.
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कर्मयोग है गीता का साधना मार्ग
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