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स्वामी चिदानंद जयंती समारोह सात को

स्वामी चिदानंद जयंती समारोह सात को(फोटो दुबेजी -6)-राजेंद्र विद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित होगा प्रवचन-ऋषिकेश से आये पांच संतों का दल करेंगे संबोधितजमशेदपुर. दिव्य जीवन संघ की जमशेदपुर इकाई की ओर से आगामी सात नवंबर (शनिवार) को स्वामी चिदानंद जन्मशती समारोह का आयोजन किया जा रहा है. स्थानीय राजेंद्र विद्यालय सभागार में संध्या 6:00 बजे से […]

स्वामी चिदानंद जयंती समारोह सात को(फोटो दुबेजी -6)-राजेंद्र विद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित होगा प्रवचन-ऋषिकेश से आये पांच संतों का दल करेंगे संबोधितजमशेदपुर. दिव्य जीवन संघ की जमशेदपुर इकाई की ओर से आगामी सात नवंबर (शनिवार) को स्वामी चिदानंद जन्मशती समारोह का आयोजन किया जा रहा है. स्थानीय राजेंद्र विद्यालय सभागार में संध्या 6:00 बजे से होने वाले समारोह में संगठन के स्वामी शिव चिदानंद सरस्वती, स्वामी धर्म निष्ठानंद सरस्वती, डॉ जयंत भाई, आरके राधामोहन एवं ब्रह्मचारी राघव दास शहर पहुंच रहे हैं. संस्था की जमशेदपुर इकाई के अध्यक्ष प्रो एमबी लाल के साथ अन्य पदाधिकारियों ने मंगलवार को तुलसी भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उक्त जानकारी दी. उन्होंने बताया कि समारोह के तहत उपर्युक्त संतों का प्रवचन आयोजित किया जायेगा. साथ ही इस अवसर पर नगर के स्कूली बच्चों के लिए आयोजित चित्रांकन प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को पुरस्कृत भी किया जायेगा. समारोह में शामिल होने पहुंच रहे पांचों संत कोलकाता से पादुका रथ के साथ अपराह्न वेला में जमशेदपुर पहुंचेंगे, जिन्हें बिष्टुपुर में ठहराया जायेगा. वहीं पर पादुका पूजन आयोजित होगा, जबकि संध्या समय राजेंद्र विद्यालय सभागार में आयोजित समारोह में श्रद्धालुओं के लिए प्रवचन आयोजित होगा. समारोह में प्रवेश नि:शुल्क होगा. संवाददाता सम्मेलन में संस्था के सचिव आरसी मिश्रा, उपाध्यक्ष केके झा, डीपी सिंह, प्रदीप कुमार महापात्र, एसपी दुबे, आरएन शर्मा, चंद्रशेखर प्रसाद, संतोष पांडेय आदि पदाधिकारी एवं सक्रिय सदस्य उपस्थित थे.कौन थे स्वामी चिदानंद (फोटो स्वामी चिदानंद सरस्वती के नाम से सेव है)स्वामी चिदानंद जी विश्व प्रमुख संत स्वामी शिवानंद के प्रमुख शिष्य तथा उनके उत्तराधिकारी थे. स्वयं स्वामी शिवानंद कहते थे, ‘मैं साधना सिद्ध हूं, पर चिदानंद जी जन्म सिद्ध हैं. वे मेरे गुरु बनने की योग्यता रखते हैं, पर पता नहीं किस प्रारब्ध वश मैं उनका गुरु बन गया.’ सेवा से शुद्ध होता है मन’आत्मा यानि मैं. ऐसा नहीं कि मेरे अंदर आत्मा है, मैं स्वयं आत्मा हूं. मैं न पुरुष हूं न शरीर हूं, मैं मन और बुद्धि से परे नाम और रूप से परे बस आत्मा हूूं.’ सेवा को वे मन की शुद्धि करने वाला मानते हुए कहते थे कि इससे अहंकार, घृणा, ईर्ष्या तथा काम-क्रोध आदि नष्ट हो जाते हैं. वर्ष 1916 में मैंगलोर के प्रसिद्ध भक्त परिवार में जन्मे स्वामी चिदानंद अपने देदीप्यमान आलोक से मानवता को प्रभाषित करने के पश्चात अगस्त 2008 में अपना पंचभौतिक शरीर त्याग नित्य सच्चिदानंद मय स्वरूप में समाहित हो गये.

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