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ऑनलाइन होंगी जनजातीय भाषाओं की पुस्तकें

जमशेदपुर: आदिवासी जनजाति के छात्रों को अब जनजातीय भाषाओं की कोर्स की पुस्तकें ऑन लाइन उपलब्ध होंगी. ऑल इंडिया ट्राइबल बुक सेलर्स एसोसिएशन एंड पब्लिशर्स फोरम जल्द ही इससे संबंधित एक वेबसाइट लांच करने जा रहा है. जिसमें कॉलेजों में पढ़ाये जाने वाली सभी जन जातीय भाषा की पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी. शुरुआती दौर में संताली, […]

जमशेदपुर: आदिवासी जनजाति के छात्रों को अब जनजातीय भाषाओं की कोर्स की पुस्तकें ऑन लाइन उपलब्ध होंगी. ऑल इंडिया ट्राइबल बुक सेलर्स एसोसिएशन एंड पब्लिशर्स फोरम जल्द ही इससे संबंधित एक वेबसाइट लांच करने जा रहा है.

जिसमें कॉलेजों में पढ़ाये जाने वाली सभी जन जातीय भाषा की पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी. शुरुआती दौर में संताली, हो, कुडूस व मुंड़ा जनजाति भाषा के पुस्तकों को अपलोड किया जायेगा. उसके बाद धीरे-धीरे 32 जनजाति भाषा के पुस्तकों को अपलोड किया जायेगा.

वेबसाइट की लांचिंग संभवत: द्वितीय ट्राइबल पुस्तक मेला में होगी.क्या होगा फायदा : अब तक बुक स्टॉल पर संताली, हो समेत अन्य जनजातीय भाषाओं की किताब आउट ऑफ स्टॉक रहती थी. मैट्रिक, इंटर, बीए व एमए के छात्रों को पुस्तक के लिए यहां-वहां भटकना पड़ता था. दूसरे राज्य व जिला से पुस्तक मंगाना पड़ता था.

ट्राइबल पुस्तक मेला आठ से
द्वितीय मेगा आदिवासी पुस्तक मेले का आयोजन 8 से 10 नवंबर तक एलबीएसएम कॉलेज परिसर में होगा. मेले में दिल्ली, कोलकाता समेत अन्य जगहों से 45 प्रकाशक भाग लेंगे. पुस्तक मेले में संताली के जेपीएससी, यूपीएससी व मैट्रिक, इंटर, स्नातक व पीसी की सभी पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी.

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