जमशेदपुर: मजदूरों के कल्याण के लिए ली जाने वाली लेबर सेस की राशि का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. जिले में इस मद में 6 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि जमा है, लेकिन मजदूरों के कल्याण पर खर्च नहीं हो पा रही है. एक आरटीआइ के जवाब में श्रम विभाग ने इसकी जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम जिले में लेबर सेस के मद में 6 करोड़ 40 लाख 48 हजार 456 रुपये जमा है. सेस की राशि झारखंड भवन सह अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड, रांची के खाता में जमा की जाती है.
लेबर सेस की राशि व उपयोग
भारत सरकार के कानून के तहत निर्माण कार्य की लागत का एक फीसदी लेबर सेस के रूप में देना है ताकि असंगठित मजदूरों के हित में कार्य हो सके. 2007 के बाद पूर्वी सिंहभूम में जिन कंपनियों का निर्माण हुआ है, वे लेबर सेस की राशि नहीं दे रहे हैं. सेस से सीधे कामगारों को लाभ पहुंचाने के लिए कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा प्राप्त आवंटन से मजदूरों को विभिन्न योजनाओं यथा साइकिल सहायता, श्रमिक औजार सहायता, सिलाई मशीन सहायता, मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृति, चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजना, विवाह सहायता, परिवार पेंशन, अनाथ पेंशन, जनश्री बीमा योजना, अंत्येष्टि सहायता योजना, चिकित्सा सहायता योजना, रोजगार प्रशिक्षण, मातृत्व योजना का लाभ प्रदान किया जाता है.
जिले में 29 हजार कामगार रजिस्टर्ड, वर्गवार सूची नहीं
जिले में कितने मजदूर कंस्ट्रक्शन के काम में लगे हुए हैं या किस श्रेणी में मजदूरों द्वारा काम किया जा रहा है, इसकी जानकारी श्रम विभाग के पास नहीं है. झारखंड भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम 1996 के तहत निर्माण कार्य में लगे कामगार के निबंधन का प्रावधान है. इसके अनुसार अब तक इस जिला में निर्माण कार्य में लगे निबंधित कामगारों की संख्या 29106 है.
कई कंपनियां नहीं दे रही लेबर सेस का लाभ
श्रम विभाग की ओर से यह भी जानकारी दी गयी है कि जमशेदपुर में टाटा स्टील, टाटा ब्लूस्कोप, सीआरएम, मेसर्स स्टील स्ट्रीपस व्हील्स लिमिटेड की ओर से लेबर सेस का लाभ और रकम नहीं दी जा रही है. इसकी वजह क्या है, यह स्पष्ट नहीं बताया गया है.