जमशेदपुर: टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट पर संकट की स्थिति बनी हुई है. सुधार के लिए यहां भी कई कदम उठाने की जरूरत है. वहीं, झरिया की कोयला खदान भी कंपनी संचालित करने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि लागत खर्च पर कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. यह बातें टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहीं. श्री नरेंद्रन मंगलवार को अपने बोर्ड रूम में टाटा स्टील के माइंस के अध्यक्ष सह इंटक के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र सिंह, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद व टिस्को मजदूर यूनियन के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय के साथ मीटिंग कर रहे थे.
इस मीटिंग में एमडी ने साफ तौर पर कहा िक वर्तमान में वैश्विक स्थिति बेहतर नहीं है. इस कारण यह जरूरी है कि आवश्यक कदम उठाये जायें. कर्मचारियों को सारी सुविधाएं दी जा रही हैं और कंपनी नहीं चाहती है कि इसमें कटौती की जाये. लेकिन लाभ व उत्पादन को हर हाल में बढ़ाना होगा.
एमडी ने कहा कि झरिया से अगर कोयला लिया जाता है, तो करीब 9,000 रुपये प्रति टन खर्च होता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया से कोयला लाना सस्ता पड़ रहा है. ऑस्ट्रेलिया से अगर कोयला लाया जाता है, तो उसकी लागत 7000 रुपये प्रति टन आ रही है. ऑस्ट्रेलिया के कोयले की क्वालिटी वर्ल्ड क्लास है. इसका लाभ सबको मिल रहा है.
इंटक का सम्मेलन 4 से 6 दिसंबर तक दिल्ली में, टाटा स्टील करेगी मदद : एमडी से तीनों नेता इंटक के 4 से 6 दिसंबर को होनेवाले सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में मिले थे.
इस दौरान तीनों नेताओं ने टाटा स्टील से इस आयोजन में मदद करने की बात कही. एमडी ने हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया, लेकिन उसी दौरान ही वैश्विक परिस्थितियों के बारे में भी उन्हें बताया.