जिसमें सिर्फ दो ने पोस्ट ऑफिस के जरिये भुगतान की बात कही, लेकिन पासबुक नहीं दिखाये. इसमें पांच लाख 60 हजार 400 रुपये का भुगतान हुआ, इसमें महज 12 मजदूरों को 19,800 रुपये का ही भुगतान मनरेगा अधिनियम के तहत किया गया. इस योजना में जो थोड़ा बहुत काम हुआ भी है उसमें मजदूरों को मजदूरी मनमाने ढंग से बांटी गयी. जांच के दौरान 120 मजदूरों के नाम, खाता से मेल नहीं हुआ. जो कुल मजदूरों का 90 प्रतिशत है.
योजना में मजदूरी के मद में पांच लाख 60 हजार चार सौ रुपये का भुगतान किया गया, जिसमें मात्र 12 मजदूरों को पोस्ट ऑफिस के माध्यम से भुगतान किया गया. 71 में से 17 मजदूरों ने योजना में कोई कार्य नहीं करने, 54 ने मास्टर रॉल में अंकित कार्य दिवस के दिन कार्य करने की बात कहीं. 54 में से 36 मजदूरों ने 120 रुपये, 17 ने 100 रुपये और एक मजदूर ने 80 रुपये की दर से प्रतिदिन भुगतान की बात जांच कमेटी को कहीं. पांच फर्जी रसीद बना कर सामग्री भुगतान किया गया. इनमें एक लाख 58 हजार 151 रुपये का घोटाला जांच में पाया गया. यह फर्जी भुगतान मेसर्स सीताराम स्टोन चिप्स, मारंगबुरू सिविल कांटैक्टर एंड जेनरल आर्डर सप्लायर बनाकाटा को किया गया. योजना संख्या एक की रसीद दिखा कर भुगतान योजना संख्या तीन से किया गया. जांच के क्रम में योजना संख्या 03- 11- 12 में गबन में प्रथम दृष्टया पोस्ट ऑफिस शाखा कालिकापुर की संलिप्तता मिली.