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कीताडीह में नहीं जले चूल्हे, सुनसान रही गलियां

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरअपनी शहादत से शहर को गौरवान्वित करने वाले शहीद किशन की श्रद्धांजलि सभा में कीताडीह के हरेक परिवार पहुंचा था. अपने शहर के सपूत की एक झलक पाने व अंतिम विदाई देने के लिए बस्ती के किसी घर में रविवार चूल्हा नहीं जला. सुबह से ही लोग दुर्गापूजा मैदान की ओर जाते दिखने […]

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरअपनी शहादत से शहर को गौरवान्वित करने वाले शहीद किशन की श्रद्धांजलि सभा में कीताडीह के हरेक परिवार पहुंचा था. अपने शहर के सपूत की एक झलक पाने व अंतिम विदाई देने के लिए बस्ती के किसी घर में रविवार चूल्हा नहीं जला. सुबह से ही लोग दुर्गापूजा मैदान की ओर जाते दिखने लगे थे. हर कोई बस शहीद का दर्शन करना चाहता था. जिसने किशन को कभी देखा नहीं था, वो भी अपने शहर के सपूत को देखने की बेताब थे. कीताडीह की गलियों से होते हुए लोग पहले त्रिमूर्ति चौक स्थित शहीद के आवास पर गये. वहां से जुलूस की शक्ल में सभी श्री शिव मंदिर से होते हुए नायडू बिल्डिंग की तरफ से दुर्गापूजा मैदान पहुंचे. …मौत हो तो शहीद किशन जैसीसंभवत: पहला ऐसा मौका था कि जब कीताडीह की सभी दुकानें बंद रहीं. सभी घरों से एक-एक सदस्य अंतिम यात्रा में शामिल होने निकले थे. कीताडीह की तंग गलियां आज खाली-खाली दिख रही थी. सभी के हाथों में फूल माला-अगरबत्तियां लिए हुए थे. हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई समुदाय का आपसी भाईचारा रविवार को शहीद किशन की अंतिम विदाई में देखने को मिला. सभी धमार्ें के प्रमुख ने अपने-अपने भगवान को याद कर शहीद किशन की आत्मा की शांति और उसके परिवार को हिम्मत देने के लिए प्रार्थना की. शहीद किशन की अंतिम यात्रा के दौरान जब तक सूरज चांद रहेगा…, किशन तेरा यह बलिदान…, शहीद किशन अमर रहे.. के नारे लगातार लगते रहे. अंतिम दर्शन में शामिल हुए लोग कह रहे थे, मौत हो तो शहीद किशन की जैसी.

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