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नयी पीढ़ी को साहित्य से जोड़ना जरूरी (फोटो है मनमोहन का)

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरओल्ड पुरुलिया रोड मदर्स होम स्कूल प्रांगण में अदबी मंच की ओर से रविवार को ‘एक शाम प्रोफेसर सैय्यद अहमद शमीम के नाम’ का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि के सैय्यद अहमद अब्बास रिजवी छब्बन उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि सैय्यद अहमद शमीम उर्दू अदब को अपनी मेहनत व लगन से सींचने में […]

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरओल्ड पुरुलिया रोड मदर्स होम स्कूल प्रांगण में अदबी मंच की ओर से रविवार को ‘एक शाम प्रोफेसर सैय्यद अहमद शमीम के नाम’ का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि के सैय्यद अहमद अब्बास रिजवी छब्बन उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि सैय्यद अहमद शमीम उर्दू अदब को अपनी मेहनत व लगन से सींचने में लगे रहे. सैय्यद अहमद को हिंदी साहित्य सम्मेलन में शिल्पी अवार्ड, प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा दिल्ली, बिहार और पश्चिम बंगाल की उर्दू अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया. उनकी रचनाएं बे दरो दीवार, अजरंग लेख संग्रह, डूबती शाम कविता संग्रह और बंद आंखों का तमाशा खाके को लोगांे ने खूब सराहा.कार्यक्रम की अध्यक्षता मुमताज शारिक ने की. उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी में साहित्य के प्रति रुचि समाप्त होती जा रही है. अदबी मंच को जीवित रखने के लिए इंटरनेट के माध्यम से युवाओं तक पहुंचना जरूरी है. कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रोेफेसर जावेद अंसारी ने किया. इस अवसर पर मंजर कलीम अनवर अदिब, शम्स फरीदी, असलम बदर, रिजवान वास्ती के अतिरिक्त हजारीबाग से आये फरहत हुसैन खुशदिल ने अपने विचार रखे. इस अवसर पर अहमद शमीम को सम्मानित किया गया और उनके नाम से आगाज ए कारोबार का विशेषांक प्रकाशित किया गया. सैय्यद अहमद शमीम का परिचयसैय्यद अहमद शमीम का जन्म 2 अगस्त 1939 को बिहार के जहानाबाद में हुआ था. उन्होंने एमए तक शिक्षा हासिल की. प्रारंभ में वे टाटा स्टील से जुड़े. 1971-77 तक गे्रजुएट स्कूल कॉलेज जमशेदपुर में अस्थायी तौर पर कार्यरत रहे और 1977 -99 तक करीम सिटी कॉलेज में स्थायी तौर पर उर्दू विषय के व्याख्याता रहे.

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