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संस्कृति के चार अध्याय पर गोष्ठी आयोजित

पुस्तक के पचास वर्ष पूरे होने पर हुआ आयोजनजमशेदपुर . आदित्यपुर साहित्यकार संघ की ओर से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘संस्कृति के चार अध्याय’ एवं ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ की रचना के पचास वर्ष पूरे होने पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. डॉ बच्चन पाठक ‘सलिल’ की अध्यक्षता में आयोजित उक्त गोष्ठी में […]

पुस्तक के पचास वर्ष पूरे होने पर हुआ आयोजनजमशेदपुर . आदित्यपुर साहित्यकार संघ की ओर से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘संस्कृति के चार अध्याय’ एवं ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ की रचना के पचास वर्ष पूरे होने पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. डॉ बच्चन पाठक ‘सलिल’ की अध्यक्षता में आयोजित उक्त गोष्ठी में पद्मा मिश्रा, मनोज आजिज ने अपने उद्गार व्यक्त किये. डॉ सलिल ने दिनकर से जुड़े उनके संस्मरण सुनाये तथा उन्हें प्रमुख लेखक, कवि व निबंधकार बताया.पद्मा मिश्रा ने कहा कि दिनकर स्वतंत्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये. मनोज आजिज़ ने कहा कि दिनकर ने संस्कृति के चार अध्याय के माध्यम से स्थापित किया है कि सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद भारत एक देश है, क्योंकि सारी विविधताओं के बाद भी, हमारी सोच एक जैसी है और हम भारतीयता के सूत्र में बंधे हैं. कार्यक्र म का संचालन प्रभाष झा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मीरा झा ने किया. इस अवसर पर त्रिलोकी नाथ तिवारी, भोला झा, शिशिर पाठक, अली जान, हरे राम राय हंस, उमेश चतुर्वेदी, अदिति, अमन समेत कई साहित्यप्रेमी उपस्थित थे.

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