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टाटा वर्कर्स यूनियन: ‘संविधान संशोधन मजदूर हित में जरूरी’

जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन के संविधान संशोधन को लेकर बुधवार को सभी ऑफिस बियरर एक मंच पर दिखे. यह पहला मौका संविधान संशोधन को लेकर होने वाली आमसभा (एजीएम) से पूर्व सभी ऑफिस बियररों बैठक की. इसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि संविधान संशोधन मजदूर हित में जरूरी है. संविधान संशोधन की प्रक्रिया […]

जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन के संविधान संशोधन को लेकर बुधवार को सभी ऑफिस बियरर एक मंच पर दिखे. यह पहला मौका संविधान संशोधन को लेकर होने वाली आमसभा (एजीएम) से पूर्व सभी ऑफिस बियररों बैठक की. इसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि संविधान संशोधन मजदूर हित में जरूरी है. संविधान संशोधन की प्रक्रिया पूरी करने में पूरी पारदर्शिता बरती गयी है. पांच बार कमेटी मीटिंग के बाद इसे सुनिश्चित किया गया है.

एजीएम में सभी कर्मचारियों व सदस्यों से सुझाव मांगे गये. इस मामले में करीब 80 सुझाव व सवाल आये हैं. यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, महामंत्री बीके डिंडा, डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी टुन्नु समेत तमाम पदाधिकारियों ने कहा कि एजीएम में इन 80 सवालों का जवाब दिया जायेगा. प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि 14 लोगों ने लिखित तौर पर आपत्ति दी है, लेकिन उसे देख लगता है कि पत्र राजनीति से प्रेरित है. पत्र में किसी तरह का एक सवाल नहीं है, बल्कि कहा गया है कि अलोकतांत्रिक और अपारदर्शिता के साथ सारा काम किया गया है. इसका विरोध किया जाना चाहिए. सदस्यों का सुझाव नहीं लेने का आरोप लगाया गया है. उपाध्यक्ष शहनवाज आलम ने बताया कि आरोप निराधार है. सभी लोगों से सुझाव लिये गये हैं. पारदर्शिता के साथ चुनाव कराने के लिए नयी नियमावली जरूरी है. अध्यक्ष आर रवि प्रसाद और डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी ने अपील की है कि एजीएम में ज्यादा से ज्यादा संख्या में कर्मचारी पहुंचे. ताकि हर बार यूनियन चुनाव में होने वाले लाखों रुपये के खर्च बचाया जा सके. यूनियन अगर विवादों से बची रहेगी, तो निश्चित ही मजदूर हित में काम होगा.

प्रोटेक्टेड इंप्लाइज एक्टमें शामिल है
एक सवाल के जवाब में अध्यक्ष आर रवि प्रसाद और महामंत्री बीके डिंडा ने कहा कि प्रोटेक्टेड इंप्लाइज का मामला आया था, लेकिन 214 कमेटी मेंबरों में सिर्फ सौ लोगों को सुरक्षित करने की बात थी. यह भी एक विवाद का कारण बन सकता था, जबकि पहले से इंडस्ट्रियल डिस्प्युट एक्ट में प्रावधान है. इसे देखते हुए हम लोगों ने इसे संविधान में शामिल नहीं किया.
सहायक सचिव का पद नहीं बढ़ सकता
महामंत्री ने बताया कि सहायक सचिव का पद बढ़ाने या घटाने की मांग हुई थी, लेकिन विवादों से बचने के लिए हमने इसमें किसी तरह का कोई छेड़छाड़ नहीं किया. इन लोगों ने मैनेजमेंट का किसी तरह का दबाव होने से साफ इनकार किया.

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