जमशेदपुर : सांसद विद्युत वरण महतो ने बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान लाखों लोगों को भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुरमाली व मुंडारी भाषा को तत्काल आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया़ उन्होंने यह भी बताया कि अबतक इस सूची में हिंदी समेत 22 क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया जा चुका है़ साथ ही 38 भाषायें केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है, जो सूची में शामिल होने के लिये प्रतीक्षारत है़ इसमें झारखंड की 5 भाषाएं, हो, कुडुख, कुरमाली, मुंडारी तथा नागपुरी शामिल है़ श्री महतो ने बताया कि कुरमाली, झारखंड की एक प्रमुख भाषा है़ यह न सिर्फ झारखंड, बल्कि बंगाल के पुरुलिया, मिदनापुर, बांकुड़ा, मालदा, दिनाजपुर के सीमावर्ती इलाके और बिहार के भागलपुर में भी बोली जाती है़ सांसद ने बताया कि इसी तरह मुंडारी भाषा विश्व की पुरानी भाषाओं में से एक है़ विशेषकर बांग्ला और ओडि़या में मुंडारी भाषा का प्रयोग होता है़ भाषा विशषज्ञों का मानना है कि यदि इस दिशा में प्रयास तेज नहीं हुए तो आनेवाले सौ वषार्ें में लाखों लोगों द्वारा बोली जानेवाली मुंडारी भाषा भी विलुप्त हो जायेगी़ वैसे भी 32 जनजातीय की 32 भाषाओं में से 27 भाषाएं लगभग विलुप्त हो चुकी है़ इसलिए झारखंड की आदिवासी तथा क्षेत्रीय भाषाओं को बचाना आवश्यक है़
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कुरमाली व मुंडारी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का मामला उठाया सांसद ने
जमशेदपुर : सांसद विद्युत वरण महतो ने बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान लाखों लोगों को भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुरमाली व मुंडारी भाषा को तत्काल आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया़ उन्होंने यह भी बताया कि अबतक इस सूची में हिंदी समेत 22 क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया जा […]
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