रांची/जमशेदपुर: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में बुधवार को टाटा सब लीज को लेकर दायर राज्य सरकार की संशोधन याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए सब लीज मामले की जांच के लिए तीन माह का और समय दे दिया. इससे पूर्व राज्य […]
रांची/जमशेदपुर: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में बुधवार को टाटा सब लीज को लेकर दायर राज्य सरकार की संशोधन याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए सब लीज मामले की जांच के लिए तीन माह का और समय दे दिया.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि 17 दिसंबर 2014 के आदेश के आलोक में उच्चस्तरीय समिति द्वारा 59 सब लीज मामले की जांच शुरू कर दी गयी है. जांच के लिए तय समय 31 मार्च को समाप्त हो गया. अब तक जांच कार्य पूरा नहीं हो पाया है. उन्होंने जांच के लिए और समय देने का आग्रह किया. जिसे हाइकोर्ट ने स्वीकार कर लिया. गौरतलब है कि प्रार्थी राज्य सरकार ने पूर्व के आदेश में संशोधन के लिए याचिका दायर की है. जमशेदपुर की लगभग 482 एकड़ बेशकीमती जमीन प्रभावशाली व रसूखदारों को सब लीज के तहत दे दी गयी है.
कई और बिंदुओं पर होगी जांच
हाइकोर्ट के 17 दिसंबर 14 के आलोक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा 59 सब लीज की जांच के लिए कोल्हान आयुक्त अरुण के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित की गयी थी. इसमें उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल को सचिव, एडीसी सुनील कुमार, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव सुरेंद्र कुमार, जिला लेखा पदाधिकारी धनंजय उरांव को सदस्य बनाया गया था. कमेटी ने सब लीज स्थल की जांच तथा चार बैठक कर इससे संबंधित कागजातों की जांच की थी. जांच में ट्रांसफर ऑफ प्रापर्टी एक्ट एवं रजिस्ट्रेशन एक्ट का उल्लंघन पाया था. साथ ही सब लीज की शर्तो का उल्लंघन कर 39 लोगों को व्यावसायिक उद्देश्य से सब लीज देने की बात सामने आयी थी. जांच में तीसरी पार्टी को बेचने के कुछ मामले भी सामने आये थे.
अलग-अलग मामलों के लिए टाटा स्टील के माध्यम से सब लीजियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. कई बिंदुओं पर जांच कमेटी को टाटा स्टील और सब लीजी का जवाब मिला था, जबकि कई मुद्दों पर टाटा स्टील द्वारा समय की मांग की गयी थी. जिसके आधार पर जांच कमेटी द्वारा सरकार के माध्यम से हाइकोर्ट से जांच पूरी करने के लिए समय की मांग की गयी थी. जांच के लिए तय समय समाप्त होने पर कमेटी रिपोर्ट भेजने की तैयारी में थी. तीन माह का समय मिलने पर कई और बिंदुओं पर जांच होने की बात कही जा रही है.