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अंतिम सर्वे सेटलमेंट को माना जाये आधार वर्ष ( हैरी : 2)करनडीह में स्थानीयता मुद्दे पर खुली परिचर्चा में बोले वक्ता (फ्लैगये प्रस्ताव हुए पारित-जिले के अंतिम सर्वे सेटलमेंट को स्थानीयता का आधार वर्ष माना जाये-तृतीय व चतुर्थ ग्रेड की नौकरी में केवल स्थानीय को प्राथमिकता मिलेलंबे समय से झारखंड में रहने वाले की स्थानीयता […]

अंतिम सर्वे सेटलमेंट को माना जाये आधार वर्ष ( हैरी : 2)करनडीह में स्थानीयता मुद्दे पर खुली परिचर्चा में बोले वक्ता (फ्लैगये प्रस्ताव हुए पारित-जिले के अंतिम सर्वे सेटलमेंट को स्थानीयता का आधार वर्ष माना जाये-तृतीय व चतुर्थ ग्रेड की नौकरी में केवल स्थानीय को प्राथमिकता मिलेलंबे समय से झारखंड में रहने वाले की स्थानीयता की पहचान का सत्यापन ग्रामसभा करेसंवाददाता,जमशेदपुरकरनडीह में सोमवार को स्थानीयता पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि जिले के अंतिम सर्वे सेटलमेंट को स्थानीयता का आधार माना जाये. उससे ही झारखंडी होने की पहचान तय होनी चाहिए. सिदो- कान्हू हूल अखाड़ा कार्यालय में आयोजित उक्त परिचर्चा में झारखंड नामधारी राजनीतिक-सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों के अलावा आंदोलनकारी व बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. हूल अखाड़ा के महासचिव फागू सोरेन ने कहा कि वर्ष 2000 को स्थानीयता का आधार मानना उचित नहीं है. आदिवासी-मूलवासी का हक नहीं छीना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के साथ बहुत से लोग लंबे समय से यहां रह रहे हैं. यहां उनकी जमीन-जायदाद नहीं है, लेकिन उनकी भाषा-संस्कृति व रहन-सहन यहां के लोगों से काफी हद तक मिलता है. वैसे लोगों का यदि ग्रामसभा सत्यापन करे, तो उसे भी झारखंडी के दायरे में रखा जाना चाहिए. परिचर्चा में डा. सोमाय सोरेन, खुदीराम मुर्मू, केसी मुर्मू, भागीरथी सोरेन, राजाराम हांसदा, उमेश सोरेन समेत अन्य वक्ताओं ने अपनी बातें रखी.

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