फोटो8 केबीआर 1 – बराईबुरू में मशरूम की खेती का नजारा.संवाददाता, किरीबुरूसारंडा के ग्रामीण मशरूम की व्यावसायिक खेती कर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं. सारंडा की जलवायु इस खेती के लिए बेहतर है. सिर्फ जरूरत है सरकारी व विभिन्न खदान प्रबंधनों द्वारा यहां के ग्रामीण व अन्य महिला समूहों को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिला कर व संसाधन उपलब्ध करा कर इन्हें स्वरोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की. ज्ञात हो कि वर्तमान समय में बराईबुरू, टाटीबा आदि गांवों की महिलाओं द्वारा छोटे पैमाने पर मशरूम की खेती प्रारंभ की गयी है. इन महिलाओं को स्थानीय खदान प्रबंधन द्वारा पूर्व में प्रशिक्षण दिला कर सब्सिडी पर मशरूम के बीज भी उपलब्ध कराये गये हैं. लेकिन इन महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या खेती के लिए जरूरी डार्क रूम (अंधेरा घर) की है. वर्तमान में इन्होंने अपने घरों में ही जैसे-तैसे खेती की शुरुआत की है. मशरूम की खेती में मेहनत कम एवं लाभ चार गुणा है. एक बार लगाये बीज से कम से कम तीन बार फसल निकल सकती है. इसका व्यापक बाजार भी पूरे क्षेत्र में है अर्थात हाथों-हाथ मशरूम बिक जाते हैं.किरीबुरू (पूर्वी) के मुखिया मंगल सिंह गिलुवा ने कहा कि बराईबुरू गांव में तीन महिलाएं इस खेती को कर रही हैं, जो छोटे पैमाने पर है. अगर सरकार एवं खदान प्रबंधन इन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराये तो ये व्यापक पैमाने पर खेती कर भारी लाभ कमा सकते हैं. साथ ही सारंडा को मशरूम समेत अन्य प्रकार का कृषि जोन बनाया जा सकता है.
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मशरूम की खेती कर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर हो रहे ग्रामीण
फोटो8 केबीआर 1 – बराईबुरू में मशरूम की खेती का नजारा.संवाददाता, किरीबुरूसारंडा के ग्रामीण मशरूम की व्यावसायिक खेती कर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं. सारंडा की जलवायु इस खेती के लिए बेहतर है. सिर्फ जरूरत है सरकारी व विभिन्न खदान प्रबंधनों द्वारा यहां के ग्रामीण व अन्य महिला समूहों को विशेष रूप […]
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