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एमजीएम के सभी अग्निशामक यंत्र डेड

जमशेदपुर: कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) में आग से निपटने की कोई भी व्यवस्था नहीं है. अगर किसी कारण अस्पताल में आग लग जाती है तो वार्डो में भर्ती मरीजों को बचाना एक बड़ी चुनौती बना जायेगी. वार्ड से लेकर ओपीडी तक आग बुझाने के लिए कोई भी यंत्र अस्पताल […]

जमशेदपुर: कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) में आग से निपटने की कोई भी व्यवस्था नहीं है. अगर किसी कारण अस्पताल में आग लग जाती है तो वार्डो में भर्ती मरीजों को बचाना एक बड़ी चुनौती बना जायेगी.
वार्ड से लेकर ओपीडी तक आग बुझाने के लिए कोई भी यंत्र अस्पताल परिसर में सही नहीं है. कुछ जगहों पर अग्निशामक यंत्र लगाया भी गया है, लेकिन उसका मेंटेंस वर्ष 2011 के बाद से अब तक नहीं हो पाया है. ऐसे में अग्निशामक यंत्र का रहना न रहना एक समान है. जबकि नियमानुसार अस्पताल में अग्निशामक यंत्र लगाना बहुत जरूरी है. अस्पताल परिसर में पानी की पाइप की वायरिंग होनी चाहिए, ताकि किसी भी समय आग से निपटा जा सके. इसके अलावा अग्निशामक यंत्र को अपडेट रखने का भी नियम है.
सौ मरीज पर दो अग्निशामक यंत्र, वह भी डेड
एमजीएम अस्पताल में सौ मरीजों की रक्षा के लिए मात्र दो अग्निशामक यंत्र लगाए गए. लेकिन वह भी डेड हैं. समय आने पर इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. अग्निशामक यंत्रों पर मोटी धूल जमी है. एमजीएम अस्पताल के एक भवन में दो वार्ड हैं. जिसमें दोनों तल मिलाकर करीब सौ मरीज भर्ती रहते हैं. ऐसे में अस्पताल के वार्ड में आग से बचने के लिए कोई उपाय नहीं है.
कई बार शॉट सर्किट से लगी है आग
एमजीएम अस्पताल में शॉट सर्किट से कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. लेकिन फौरन ही मेन स्विच बंद कर उस पर काबू पाया गया.
हाल के ही दिनों में चिल्ड्रेन वार्ड के बिजली के मेन स्विच में शॉट सर्किट से आग लग गई थी तब मौके पर मौजूद बिजली मिस्त्री ने आग को भीषण रूप लेने से बचा लिया था. उसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई भी सकारात्मक पहल नहीं की गई.

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