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शहर में तस्करी का जरिया बनी बाहर से आने वाली बसें
जमशेदपुर: शहर में पड़ोसी राज्यों (बिहार, ओड़िशा, बंगाल ) से आने वाली बसें तस्करी का आसान जरिया बन गयी हैं. इन बसों में पार्सल के माध्यम से अवैध सामान आसानी से इधर-उधर किया जा रहा है. रविवार को ओड़िशा से रांची आ रही यात्री बस से 10 हजार डेटोनेटर बरामद किया गया था. इस घटना […]
जमशेदपुर: शहर में पड़ोसी राज्यों (बिहार, ओड़िशा, बंगाल ) से आने वाली बसें तस्करी का आसान जरिया बन गयी हैं. इन बसों में पार्सल के माध्यम से अवैध सामान आसानी से इधर-उधर किया जा रहा है. रविवार को ओड़िशा से रांची आ रही यात्री बस से 10 हजार डेटोनेटर बरामद किया गया था. इस घटना से साफ हो गया है कि लंबी दूरी की बसों से अवैध सामने बढ़ी मात्र में राज्य में प्रवेश कर रहे है.
पुलिस भी दबी जुबान इसे महसूस कर रही है. जानकारी के अनुसार बसों से पार्सल भेजने के लिए किसी यात्री अथवा पहचान की जरूरत नहीं होती है. कोई भी आसानी से निश्चित रकम चुका कर सामान गंतव्य तक भेज सकता है. अनबुक्ड माल के बारे में कोई पुख्ता जानकारी बस कर्मियों को भी नहीं होती. उन्हें सिर्फ फोन नंबर व एक सांकेतिक नाम दे दिया जाता है.
ऐसे में तस्करी का माल अथवा आपत्तिजनक सामान बरामद होने पर पुलिस मुख्य अपराधी तक नहीं पहुंच पाती. पुलिस के हाथ लगते हैं तो सिर्फ माल बुक करने वाले बस के एजेंट.
पहले भी पकड़ा गया है हथियार
बसों से अवैध हथियार पहले भी पकड़ा जा चुका है. पूर्व एसएसपी अखिलेश झा ने मानगो बस स्टैंड में गुप्त सूचना पर छापामारी कर हथियार के साथ कारतूस का जखीरा बरामद किया गया था. जिसे बिहार से आने वाली बस से जब्त किया गया था. इसके अलावा पुलिस ने गुप्त सूचना पर बस से प्रतिबंधित गुटखा, सिगरेट,काजू, नकली सीडी, गांजा, शराब, फल भी जब्त कर चुकी है. कुछ दिन की सख्ती के बाद पुलिस केवल वसूली में भिड़ जाती है.
नहीं होती है बसों की नियमित जांच
मानगो बस स्टैंड में भले ही पुलिस बल की तैनाती है. डीसी डॉ अमिताभ कौशल ने पूर्व में ही मानगो बस स्टैंड का निरीक्षण के दौरान बस स्टैंड में बसों से आने वाले सामानों की तलाशी का आदेश दिया था, लेकिन बसों की नियमित जांच नहीं हुई. डीसी के दौरे के बाद किसी भी प्रशासनिक या पुलिस अधिकारी ने मानगो बस स्टैंड की सुधि नहीं ली.
बुकिंग को लेकर प्रशासन का कोई दिशा-निर्देश नहीं
बस संचालकों को सामान की बुकिंग के बारे में जिला प्रशासन का कोई स्पष्ट आदेश नहीं मिला है. इसके कारण बस संचालक सिर्फ सामान बुक करने से मतलब रखते हैं. संचालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पुलिस जांच के नाम पर बोरा या बंडल के एवज में पैसे लेकर चली जाती है. पैसे नहीं मिलने पर पुलिस एक-एक सामान को चेकिंग के नाम पर तंग करती है. बस संचालक परेशानी से बचने के लिए पैसे देने को विवश हैं.
काजू, गांजा की सबसे ज्यादा तस्करी
काजू एवं गांजा की तस्करी सबसे ज्यादा होती है. ओड़िशा, बंगाल से ( भुनेश्वर, कटक, अंगुल) काजू, गांजा शहर में बसों से आते हैं. शहर से माल की सप्लाइ रांची, बिहार में होती है. बिहार, झारखंड में खपत ज्यादा होने और ओड़िशा, बंगाल में काजू, गांजा सस्ते दर में मिलता है. इसकी वजह से तस्करी कर माल मंगाया जाता है. पुलिस पहले भी गांजा, काजू पकड़ चुकी है. पूर्व एसएसपी ने काजू पकड़ने के बाद मानगो बस स्टैंड के सभी जवानों को लाइन क्लोज कर दिया था. इन जवानों पर काजू पकड़ने के बाद मामला को दबाने का आरोप था. बिहार के कई जिलों से अवैध हथियार शहर लाये जाते हैं. खुफिया विभाग भी जिला प्रशासन को इस बाबत आगाह कर चुका है.
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