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दौड़ रहे थे चूहे, प्रशिक्षु नर्स के भरोसे थे मरीज

देर रात एमजीएम पहुंचे मुख्य सचिव जमशेदपुर : शुक्रवार की देर रात करीब 12.15 बजे राज्य के मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती औचक निरीक्षण करने एमजीएम अस्पताल पहुंच गये. वे सीधे अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे तथा वहां की व्यवस्था की जानकारी ली. जब मुख्य सचिव पहुंचे, उस वक्त चूहों का झुंड अस्पताल में इधर-उधर […]

देर रात एमजीएम पहुंचे मुख्य सचिव
जमशेदपुर : शुक्रवार की देर रात करीब 12.15 बजे राज्य के मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती औचक निरीक्षण करने एमजीएम अस्पताल पहुंच गये. वे सीधे अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे तथा वहां की व्यवस्था की जानकारी ली.
जब मुख्य सचिव पहुंचे, उस वक्त चूहों का झुंड अस्पताल में इधर-उधर दौड़ रहा था. खुद मुख्य सचिव भी चूहों के झुंड को रेंगते देखकर रुक गये. मुख्य सचिव ने पाया कि पूरा इमरजेंसी विभाग ट्रेनिंग में आयी नर्स के भरोसे चल रहा था. उन्होंने वहां तैनात चिकित्सक डॉ ओपी श्रीवास्तव और डॉ
एलबी टुडू से जानकारी ली. कुछ देर बाद ही उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल भी आ गये. एमजीएम अस्पताल का शौचालय देख मुख्य सचिव अवाक रह गये. पूरी व्यवस्था लुंज-पुंज थी. कहा :
इसीजी नहीं, हार्ट अटैक मरीज आ जाये तो देखते हैं
चिकित्सकों के मुख्य सचिव ने पूछा कि वहां इसीजी की क्या व्यवस्था है, इस पर डॉ एलबी टुडू ने बताया कि हार्ट अटैक के मरीज आ जाते है तो दूसरे अस्पताल भेज देते है. अगर गरीब है और इलाज नहीं कर सकता है तो निश्चित तौर पर उसको देखने के अलावा कोई चारा नहीं है.
अप्रैन से लेकर ग्लब्स तक नहीं था
जली हुई मरीज उनके निरीक्षण के दौरान आयी. करीब 70 से 80 फीसदी जली हुई महिला आयी हुई थी. लेकिन जब मुख्य सचिव ने पूरी व्यवस्था देखी तो इंफेक्शन को रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं पाया. न तो हाथों में चिकित्सकों के पास कोई ग्लब्स ही था और न ही मुंह बांधने का कोई जुगाड़ ही था.
बिजली कट जाये तो कोई इंतजाम नहीं
डॉक्टरों ने पूछताछ में बताया कि बिजली अगर कट जाये तो उनके पास कोई भी वैकल्पिक इंतजाम नहीं है. इस पर मुख्य सचिव की आंखें फटी की फटी रह गयी. मुख्य सचिव को डीसी से लेकर सारे चिकित्सकों ने बताया कि यहां टाटा लीज एरिया है, जिस कारण बिजली की समस्या नहीं है.
स्वास्थ्य विभाग की पूरी व्यवस्था जुगाड़ तंत्र पर चल रही है : मुख्य सचिव
मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने करीब 50 मिनट के निरीक्षण के बाद पाया कि पूरी व्यवस्था जुगाड़ तंत्र पर चल रही है. उन्होंने बताया कि हालात बद से बदतर है. चिकित्सकों से लेकर कर्मचारियों की समस्या है. कई सदर अस्पतालों में तो 1932 के बाद से अब तक कोई पद ही नहीं सृजित किये गये है. यह व्यवस्था दुरुस्त हो रही है. बहाली होगी तो ठीक हो जायेगा. यह पूछे जाने पर कि कर्मचारियों की कमी या डॉक्टरों की कमी की बात तो समझ आती है, लेकिन चूहे दौड़ना या गंदगी होना कहां तक जायज है, इस पर श्री चक्रवर्ती ने तो कुछ नहीं कहा, लेकिन डीसी ने जरूर कहा कि इच्छाशक्ति की कमी है.

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