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कोल्हान की जेलों में 2633 विचाराधीन बंदी
अशोक झा जमशेदपुर : झारखंड की जेलों में बंद कैदियों के छोटे अपराधों के मामलों की समीक्षा किये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा का बंदियों के परिजनों ने स्वागत किया है. कोल्हान की चार जेलों में 3,263 बंदी हैं, इनमें लगभग 2,633 बंदी ऐसे हैं जिनके विभिन्न अदालतों में मामले विचाराधीन हैं. घाघीडीह सेंट्रल जेल […]
अशोक झा
जमशेदपुर : झारखंड की जेलों में बंद कैदियों के छोटे अपराधों के मामलों की समीक्षा किये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा का बंदियों के परिजनों ने स्वागत किया है. कोल्हान की चार जेलों में 3,263 बंदी हैं, इनमें लगभग 2,633 बंदी ऐसे हैं जिनके विभिन्न अदालतों में मामले विचाराधीन हैं.
घाघीडीह सेंट्रल जेल में 805, घाटशिला मंडल उपकारा में 232, चाईबासा जेल में 996 और सरायकेला जेल में 600 विचाराधीन बंदी हैं. अगर विचाराधीन बंदियों के बारे में समीक्षा के बाद त्वरित फैसले लिये जाते हैं तो संभव है कि जेलों में क्षमता से अधिक रह रहे कैदियों की संख्या में भी कमी आयेगी.
राज्य में ढाई लाख से ज्यादा मामले लंबित
एक तरफ अदालतों में मुकदमों का अंबार लग रहा है, दूसरी तरफ न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी है. सबसे ज्यादा मामले मोटर दुर्घटना, चेक बाउंस, दहेज उत्पीड़न, जमीन विवाद को लेकर मारपीट से संबंधित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी एक अहम फैसले में जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से जेलों का निरीक्षण करने और ऐसे बंदियों को निजी मुचलके पर रिहा करने को कहा है, जिनका मामला लंबे समय से विचाराधीन है और उन्होंने संभावित सजा का आधा समय जेल में बिता दिया है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में निचली अदालतों में आरोपी की पुलिस रिपोर्ट नहीं सौंपने की वजह से 75 हजार मामलों पर अदालती कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है. राज्य में ढाई लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं.
विधि आयोग की सिफारिश
राष्ट्रीय विधि आयोग ने केसों की संख्या कम करने और न्याय प्रणाली में सुधार के लिए जुलाई 2014 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी. आयोग ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने, जजों की नियुक्ति को प्राथमिकता देने, अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने, यातायात, पुलिस चालन के लिए विशेष कोर्ट, अतिरिक्त न्यायालयों के लिए आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने की बात कही थी.
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