जमशेदपुर: सारंडा समेत पूरे कोल्हान के वन गांवों का कॉरपोरेट कंपनियां विकास करेंगी. वन विभाग की ओर से इसका खाका तैयार किया गया है.
विभाग की ओर से सारंडा वन क्षेत्र के 20 गांवों को चुना गया है, जिस पर तत्काल 30 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इसमें टाटा स्टील, सेल समेत तमाम कंपनियां फंड देगी.नये कॉरपोरेट नियम के मुताबिक, वन क्षेत्र और उसके आसपास खनन कार्य करने वाली कंपनियों को आमदनी का दो फीसदी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) पर खर्च करना है. वन विभाग को कहा गया है कि वैसे गांवों के विकास की योजनायें तैयार करे और गांवों की जरूरत क्या है और क्या किया जाना है. यह जानकारी दे. इसी आधार पर कॉरपोरेट कंपनियां फंडिंग करने के बजाय गांवों में आधारभूत संरचना तैयार करेंगी. सारंडा के गांवों में पानी की सुविधा पहुंचाना पहली प्राथमिकता है. इसकी कार्य योजना और बजट बनाकर कंपनियों को सौंपा जा रहा है. इसके बाद इस दिशा में काम किया जायेगा. इसी तरह पूर्वी सिंहभूम जिले में भी विकास योजना बनायी गयी है.
एचसीएल के माध्यम से मुसाबनी के रोआंग गांव का विकास किया जायेगा और सीएसआर का मॉडल विलेज के रूप में उसको विकसित किया जायेगा, जिस पर एचसीएल की ओर से करीब पांच करोड़ रुपये दिये जायेंगे. इसके अलावा यूसिल समेत तमाम कंपनियों द्वारा जादूगोड़ा और आसपास के इलाके को विकसित किया जाना है. पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले में सारे वन गांवों में आधारभूत संरचना पहुंचाने का खाका तैयार किया गया है.
सभी कंपनियों को करना होगा विकास
‘सभी कंपनियों के साथ मिलकर गांवों का विकास करना होगा. सिंचाई परियोजना को धरातल पर उतारने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है. सारंडा के गांवों का विकास के साथ ही तीनों जिले में यह कार्यक्रम चलाना है. वन विभाग योजना बनाने के साथ-साथ उसको धरातल पर उतारने के लिए मॉनिटरिंग करेगा. पूरे निवेश की दो फीसदी राशि कंपनियां खर्च करेंगी, जो दस किलोमीटर रेडियस में खनन कर रही हैं.
-वाइकेएस चौहान, क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक