जमशेदपुर: करीब 40 वर्ष पूर्व चार्टर्ड एकाउंटेंसी का कार्य क्षेत्र सीमित था. यहां गिने-चुने चार्टर्ड एकाउंटेंट थे, लेकिन यहां इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. इस क्षेत्र में काम की कमी नहीं है, जबकि पूर्व में मुश्किल से आयकर वगैरह का काम मिलता था. सूचना प्रौद्योगिकी के युग में चार्टर्ड एकाउंटेंटस (सीए) को ग्लोबल बना दिया है.
रिटर्न फाइल करना हो या लेखा-जोखा, सीए की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मंदी के इस दौर में कॉस्ट कंट्रोल व अधिक मुनाफा में योगदान कर सीए अर्थव्यवस्था की नैया संभाल रहे हैं. बावजूद कहीं न कहीं इनका भी दर्द है. वह यह कि राज्य व केंद्र सरकार उनके विषय में गंभीर नहीं हैं. युवा सीए मानते हैं कि उन पर भी कहीं न कहीं मंदी का असर है. ऐसे में सरकार को उनके नियोजन पर भी सोचना चाहिए.
विदेशों में भारतीय सीए की धाक
मंदी के बावजूद वर्तमान में शायद ही कोई सीए पूर्णत: बेरोजगार हैं. स्थानीय कंपनियों, बैंक समेत विभिन्न प्रतिष्ठानों का एकाउंटस देखने के अलावा शहर के सीए को विदेशी कंपनियों से भी काम मिल रहे हैं. अमेरिका, कनाडा, रसिया समेत अन्य देशों में भारतीय सीए की मांग अधिक है. इस वजह से ऑनलाइन काम मिल रहा है.
नैतिकता प्राथमिकता
हाल के वर्षो में भ्रष्टाचार के कुछ मामले प्रकाश में आये हैं, जिनमें सीए की संलिप्तता भी पायी गयी. सीए के क्षेत्र इसे अपवाद माना जाता है. शहर के सीए कहते हैं-देश में हर क्षेत्र में नैतिक पतन हुआ है. अत: हर जगह कुछेक ऐसे लोग मिल जाते हैं. लेकिन द इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंटस ऑफ इंडिया इस मामले में काफी सख्त है.