हुजूर ये नजराना है … प्रभात लाइव स्थान : घाघीडीह सेंट्रल जेल का मुख्य गेट समय : 10. 15 बजे सोमवार की सुबह छह बजे बड़े साहब (सिटी एसपी, एसडीओ, तमाम डीएसपी, कई थानेदार एवं इंस्पेक्टर) ने लाव लश्कर के साथ घाघीडीह सेंट्रल जेल में औचक छापामारी कर जेल में तलाशी अभियान चलाया. ढाई घंटे बाद लगभग साढ़े आठ बजे बड़े साहब लौट गये. डेढ़ घंटे बाद जेल के बंदियों के परिजन मुलाकात और कुछ जरूरी सामान पहुंचाने आते हैं. बंदियों के परिजनों के जेल गेट से प्रवेश करते ही एसएसपी के आदेश से तैनात जिला पुलिस के जवान सामान की तलाशी शुरू करते हैं. तलाशी के क्रम में पुलिस मोबाइल फोन करा लेती है और फिर शुरू होता है, नजराना वसूली का क्रम. एक-एक कर बंदियों के परिजनों से मुलाकाती और सामान भेजने के नाम पर वसूला जाता है नजराना. क्या कहते हंै बंदियों के परिजन नाम नहीं छापने की शर्त पर कई बंदियों के परिजनों ने कहा कि पुलिस सामान भेजने और मुलाकात कराने के एवज में नजराना लेती है. नजराना नहीं देने पर सामान अंदर नहीं जाने दिया जाता है. वे विवश हैं. आखिर वे किससे इसकी शिकायत करें. एसएसपी के आदेश से जवानों की तैनाती पूर्व एसएसपी नवीन सिंह ने जेल में आपत्तिजनक सामान को बंदियों तक जाने से रोकने के लिए जेल गेट पर जिला पुलिस की तैनाती की थी. जिला पुलिस और जेल पुलिस की क्रास चेकिंग होने से आपत्तिजनक सामान जेल में प्रवेश नहीं हो यह मकसद था.
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बड़े साहब के जाते ही शुरू हो गयी … फोटो ऋषि तिवारी की
हुजूर ये नजराना है … प्रभात लाइव स्थान : घाघीडीह सेंट्रल जेल का मुख्य गेट समय : 10. 15 बजे सोमवार की सुबह छह बजे बड़े साहब (सिटी एसपी, एसडीओ, तमाम डीएसपी, कई थानेदार एवं इंस्पेक्टर) ने लाव लश्कर के साथ घाघीडीह सेंट्रल जेल में औचक छापामारी कर जेल में तलाशी अभियान चलाया. ढाई घंटे […]
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