जमशेदपुर: टाटा स्टील अवैध मकानों में पानी, बिजली या किसी तरह की कोई नागरिक सुविधा नहीं देगी. कंपनी इंडस्ट्रियल टाउन बनाना चाहती है. टाटा स्टील ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपनी ओर से स्टेटमेंट (हलफनामा नहीं) जमा किया है. इस स्टेटमेंट में टाटा स्टील ने कई बातों का उल्लेख किया है. 25 जुलाई को टाटा स्टील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी.
कंपनी के स्टेटमेंट में कहा गया है कि 20 अगस्त 2005 को लीज समझौता हुआ था. समझौता के तहत बिहार लैंड रिफॉर्म एक्ट 1950 (जैसा झारखंड सरकार द्वारा अधिग्रहित की गयी) के तहत टाटा स्टील को जमशेदपुर शहर में नागरिक सुविधाएं अपने खर्च पर प्रदान करनी है और इसका विकास भी करना है. इस समझौता के तहत टाटा स्टील लगातार जमशेदपुर में नागरिक सुविधाएं प्रदान करती रही है.
टाटा स्टील ने कहा है कि 11 अगस्त 2012 को झारखंड सरकार ने एक पत्र टाटा स्टील को लिखा है और 25 जुलाई 2014 को ही एक हलफनामा सरकार ने दिया है, जिसमें सैद्धांतिक तौर पर झारखंड सरकार राजी हो चुकी है कि इंडस्ट्रियल टाउन की स्थापना जमशेदपुर में की जायेगी.
टाटा स्टील ने कहा है कि भारतीय संविधान की अधिसूचना के प्रावधान के आर्टिकल 243 क्यू (1) के तहत इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाया गया तो टाटा स्टील सुप्रीम कोर्ट में दायर सिविल अपील संख्या 467/2008 को वापस ले लेगी. टाटा स्टील ने अपने स्टेटमेंट में बताया है कि 3 दिसंबर 2013 को झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के तहत (पीआइएल पीटिशन 3596/2013 और पीआइएल पीटिशन 4570/2013) टाटा स्टील वैध मकानों (जो मकान या बिल्डिंग किसी तरह भी अवैध नहीं है) में पानी बिजली और नागरिक सुविधाएं दे रही है, जिसके बदले कंपनी पेमेंट चार्ज कर रही है. टाटा स्टील ने अपेक्षा की है कि इंडस्ट्रियल टाउनशिप जमशेदपुर को बनाया जाये और राज्य सरकार का सही प्रतिनिधित्व दिया जाये.