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पैरॉक्सनाइट खदान होगा रद्द

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका स्थित गम्हारकोचा में अवैध ढंग से संचालित पैरॉक्सनाइट खदान का पट्टा रद्द किया जायेगा. गुरुवार को विधानसभा की प्रश्न व ध्यानाकर्षण समिति की बैठक में इसे तत्काल रद्द करने का आदेश दिया गया. समिति के अध्यक्ष अरविंद सिंह और सदस्य विधायक रामचंद्र बैठा ने विधानसभा भवन में सभी पदाधिकारियों […]

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका स्थित गम्हारकोचा में अवैध ढंग से संचालित पैरॉक्सनाइट खदान का पट्टा रद्द किया जायेगा. गुरुवार को विधानसभा की प्रश्न व ध्यानाकर्षण समिति की बैठक में इसे तत्काल रद्द करने का आदेश दिया गया. समिति के अध्यक्ष अरविंद सिंह और सदस्य विधायक रामचंद्र बैठा ने विधानसभा भवन में सभी पदाधिकारियों से बातचीत की. 8 जुलाई को समिति की ओर से गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी.

कमेटी की अध्यक्षता जिले के एडीसी गणोश कुमार ने की. कमेटी में डीएफओ, सेल्स टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर, खान निरीक्षक, जिला परिवहन पदाधिकारी, प्रदूषण पदाधिकारी को शामिल किया गया. कमेटी की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने की पुष्टि की गयी. इसके तहत सभी पदाधिकारियों को अलग-अलग कार्रवाई करने का आदेश दिया गया. सभी विभागों को अलग-अलग मुकदमा दायर करने के साथ खदान को बंद कराने को कहा गया है.

खनन विभाग के सचिव की ओर से प्रतिनियुक्त निदेशक बीबी सिंह ने आश्वस्त किया कि 25 जुलाई तक के लिए इश्तेहार निकाला गया है. अगर इस दौरान कोई आता है तो उनकी बातें सुनने के बाद खनन पट्टा को रद्द किया जायेगा. अगर कोई नहीं आता है, तो 25 जुलाई के बाद से इस दिशा में कार्रवाई तेज कर दी जायेगी. इस दौरान समिति के अध्यक्ष ने पूछा कि 14 साल से इस तरह की अनियमितता चल रही थी, तो क्यों नहीं की गयी. इस पर कोई भी कुछ स्पष्ट तौर पर कहने को तैयार नहीं था.

क्या है पूरा मामला

पोटका के गम्हारकोचा में 11.10 एकड़ जमीन पर पैरॉक्सनाइट उत्खनन के लिए विष्णु चंद्र चौधरी को 2000 में लाइसेंस दिया गया था. 2001 से खनन पट्टा क्षेत्र पर अनियमितता के मामले आ रहे हैं. जिला खनन पदाधिकारी और उपायुक्त के स्तर पर नोटिस भी दिया गया, लेकिन सुधार नहीं हुआ. इसके बाद तत्कालीन उपायुक्त निधि खरे ने सरकार को प्रतिवेदित किया कि खनन पट्टा की आड़ में अनियमितता और अवैध उत्खनन किया जा रहा है. तत्कालीन एसपी ने गोपनीय प्रतिवेदन भेजा, जिसमें लिखा गया कि यहां उत्खनन करने वाले की सांठगांठ पीपुल्स वार ग्रुप के नक्सलियों के साथ है. उत्खनन करने वाले नक्सलियों को आर्थिक मदद कर रहे हैं. बाद में तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार वर्णवाल और डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने भी खनन पट्टा को समाप्त करने के लिए सरकार को लिखा. तीन-तीन डीसी की रिपोर्ट के बावजूद 14 साल में किसी सरकार ने पट्टा को रद्द नहीं किया.

2003 से रद्द करने के लिए लिखता रहा माइनिंग विभाग

माइनिंग पदाधिकारी रत्नेश सिन्हा ने सभी दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि वे 2003 से लगातार लिखते रहे, लेकिन सरकारी स्तर पर फैसला नहीं हो पाया. खनन पदाधिकारी ने बताया कि करीब दस करोड़ का डिमांड भेजा गया है. अगर राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो विभाग की ओर से सर्टिफिकेट केस भी दायर करने और संपत्ति को भी जब्त (अटैचमेंट) करने का निर्देश दिया गया है.

आइबीएम ने भी पट्टा समाप्त करने को कहा

इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आइबीएम) ने भी खनन पट्टा को समाप्त करने को कहा है. इसकी भी रिपोर्ट गुरुवार की मीटिंग में पेश की गयी, जिसको आधार बनाते हुए अधिकारियों को फटकार भी लगायी गयी.

सेल्स टैक्स ने पाया लाखों की हेराफेरी

सेल्स टैक्स विभाग ने अपनी रिपोर्ट पेश की. समिति ने पाया कि 2001 से पट्टा संचालित हो रहा है, लेकिन 2003 में सेल्स टैक्स विभाग ने उसका रजिस्ट्रेशन कराया और रेगुलराइज भी कर दिया. इस पर सेल्स टैक्स विभाग ने कहा कि वे लोग इसका डिमांड नोटिस तैयार कर चुके हैं. टाटा स्टील में माल की सप्लाइ की गयी है, जिससे मिलान किया गया है तो पाया गया है कि लाखों का हेराफेरी की गयी है. इसके लिए करीब दस करोड़ रुपये का डिमांड तय करने की बात कहीं गयी है और वसूली के लिए संपत्ति को भी अटैच किया जायेगा.

परिवहन विभाग को भी दिये गये निर्देशत्नपरिवहन विभाग ने कितना माल लिया है, इसकी भी जांच करने को कहा गया है. इसमें प्राथमिक तौर पर गड़बड़ी की सूचना मिली है. करीब दो से तीन करोड़ रुपये की हेराफेरी की जानकारी मिली है.

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