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एक साल में घटीं दो लाख सीटें, अब दो साल तक नहीं खोल सकेंगे इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेज

एआइसीटीइ मुख्यालय नई दिल्ली में हुई बैठक, 27 राज्यों के प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेजों को किया जायेगा अप टु मार्क जमशेदपुर : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) की गुरुवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में अगले दो वर्षों तक कोई भी इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेज नहीं खोलने का निर्णय […]

एआइसीटीइ मुख्यालय नई दिल्ली में हुई बैठक, 27 राज्यों के प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा

इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेजों को किया जायेगा अप टु मार्क
जमशेदपुर : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) की गुरुवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में अगले दो वर्षों तक कोई भी इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेज नहीं खोलने का निर्णय लिया गया. साथ ही जो अभी संचालित हैं, उन्हें अप टू मार्क करने का भी निर्णय लिया गया.
इसके अलावा टेक्निकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जायेगी, ताकि वे इंडस्ट्री के बदलते दौर से अवगत होकर खुद को अपग्रेड कर सकें. इसमें 27 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. बैठक में एआइसीटीइ के चेयरमैन प्रो अनिल डी. सहश्रबुद्धे व वाइस चेयरमैन डॉ एमपी पुनिया भी शामिल थे. वहीं, आरवीएस इंजीनियरिंग कॉलेज के डीन एकेडमिक्स डॉ राजेश तिवारी ने अपने कॉलेज के साथ ही राज्य का प्रतिनिधित्व किया.
विद्यार्थी इनोवेटिव प्रोजेक्ट तैयार करें, एआइसीटीवी देगा प्रोत्साहन. इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को इनोवेशन से जोड़ने के लिए एआइसीटीइ की अोर से एक नयी पहल की शुरुआत की जा रही है. सभी इंजीनियरिंग कॉलेज आने वाले दिनों में एक ऐसी व्यवस्था की शुरुआत करेंगे, जिसमें कॉलेज का अगर कोई विद्यार्थी किसी इनोवेटिव मॉडल को तैयार करता है, तो उस मॉडल को कॉलेज की साइट पर अपलोड करना है. उक्त मॉडल को तैयार करने के एवज में कॉलेज प्रबंधन द्वारा छात्र को पुरस्कृत किया जायेगा. पुरस्कार देने के लिए कॉलेज प्रबंधन को आर्थिक मदद दी जायेगी.
एक साल में घट गयी इंजीनियरिंग की करीब दो लाख सीटें. बैठक में बताया गया कि पिछले एक साल में देश में हजारों इंजीनियरिंग व अन्य तकनीकी कॉलेज बंद हुए हैं. इस बंदी की वजह से देश में करीब दो लाख सीटें घट गयी हैं. एक प्रेजेंटेशन के दौरान बताया गया कि सत्र 2018-2019 में देश के टेक्निकल कॉलेजों में कुल 33.8 लाख सीटें थी, जो सत्र 2019-2020 में घट कर 32 लाख हो गयी. करीब 1.8 लाख सीटें घट गयी. इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश व दक्षिण भारत के कॉलेज हैं.

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