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रामचंद्र सहिस ने गरीबी में लड़ा पहला चुनाव, प्रचार के दौरान नदी में नहाते थे, ढाबा में खाते और गाड़ी में सो जाते थे

रामचंद्र सहिस ने गरीबी में लड़ा पहला चुनाव, प्रचार के दौरान नदी में नहाते थे, ढाबा में खाते और गाड़ी में सो जाते थेजमशेदपुर. 2009 में जब रामचंद्र सहिस काे आजसू पार्टी के सुप्रीमाे सुदेश महताे ने टिकट दिया था ताे उस वक्त काेई दावे के साथ नहीं कह सकता था कि जीत रामचंद्र सहिस […]

रामचंद्र सहिस ने गरीबी में लड़ा पहला चुनाव, प्रचार के दौरान नदी में नहाते थे, ढाबा में खाते और गाड़ी में सो जाते थेजमशेदपुर. 2009 में जब रामचंद्र सहिस काे आजसू पार्टी के सुप्रीमाे सुदेश महताे ने टिकट दिया था ताे उस वक्त काेई दावे के साथ नहीं कह सकता था कि जीत रामचंद्र सहिस की हाेगी. चुनाव मैदान में उतरे रामचंद्र सहिस के पास चुनाव प्रचार की बात छाेड़ दें, खाने-पहनने आैर रहने तक के लिए पैसे नहीं थे. रात काे सड़क किनारे चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल हाेनेवाली गाड़ी में ही साेते थे. कभी खरकई ताे कभी डिमना लेक में नहा कर वे अपनी दिनचर्या शुरू करते थे. उनके पास दाे वक्त खुद के खाने का पैसे नहीं थे, वे भला कार्यकर्ताआें काे क्या खिलाते. आजसू पार्टी के कार्यकर्ताओं को सुदेश महताे ने मैनेज किया. उनके समर्थन में पटमदा में तीन आैर गाेविंदपुर में एक सभा की.उस वक्त रामचंद्र सहिस के पास न तो रहने के लिए अच्छा मकान अौर न ही चुनाव में खर्च के लिए पॉकेट में पैसे ही थे. पटमदा व बोड़ाम की जनता ने रामचंद्र सहिस को अपने गांव का बेटा मान लिया था यह उनके लिए सबसे बड़ी पूंजी थी. रामचंग्र सहिस की गांव के लाेगाें ने खुलकर मदद की. साथी भी आर्थिक स्थिति से कमजोर थे. चुनाव खत्म होने के बाद जमशेदपुर के होटलों में रहने के लिए भी रामचंद्र सहिस के पास पैसे नहीं थे. वे जिस वाहन पर चुनाव प्रचार करते उसी वाहन पर दिन में घूमते अौर रात में उसी में दाे पल की नींद लेते थे. सहिस अपने दोस्तों के साथ सुबह सुवर्णरेखा नदी में ही नहाते थे अौर सड़क किनारे होटल में खाना खाते थे.कराेड़ पति मंत्री काे हरा कर बने विधायकरामचंद्र सहिस ने कराेड़पति मंत्री तीन बार के विधायक दुलाल भुर्इयां को हराकर पहली बार विधान सभा में कदम रखा. सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्या के रूप में काम कर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले रामचंद्र सहिस ने क्षेत्र में काफी काम किया, जिसके कारण उनकी अपनी अलग पहचान बन गयी. क्षेत्र की जनता के प्यार आैर विश्वास पर रामचंद्र सहिस को पूरा भरोसा था कि विधानसभा चुनाव वही जीतेंगे अौर 24 दिसंबर 2009 को मतगणना के दिन सहिस विजय घोषित हुए. चुनाव में मिली जीत के बाद पार्टी सुप्रीमाे ने उनके लिए नयी एसयूबी गाड़ी भेजी, जिसमें जीत का प्रमाण पत्र लेने के बाद बैठे. उसी की सवारी कर उन्हाेंने विजयी जुलूस निकाला. सहिस ने हमेशा क्षेत्र के लोगों के बीच रहकर उनके दुख-सुख में मदद की. जिसका फायदा 2014 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें दाेबाार विधायक बनकर मिला.सहिस के घर पर लोगों का लगा तांताविधायक रामचंद्र सहिस के मंत्री बनने की खबर से मानगाे स्थित आवास पर बुधवार को बधाई देनेवाले कार्यकर्ताअों आैर शुभचिंतकाें का तांता लगा रहा. देर शाम तक लोग उनका घर पहुंचे अौर श्री सहिस का मुंह मीठा कर कर उन्हें बधार्इ दी. श्री सहिस ने कहा कि देश व समाज का सेवा करने का अवसर मिला है. लोगों का विश्वास व आशा को कभी टुटने नहीं देंगे. श्री सहिस ने मुख्यमंत्री रघुवर दास, पार्टी सुप्रीमाे सुदेश कुमार महतो व सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी का भी अाभार प्रकट किया. श्री सहिस ने मंत्री बनाये जाने की सूचना मिलते ही सबसे पहले अपनी मां लख्खी सहिस के पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया. मां के साथ साथ पत्नी व बेटे ने भी उनका मुंह मीठा कराया.

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