जमशेदपुर: देश के नीति निर्धारक मानते हैं कि बच्चे देश का भविष्य हैं लिहाजा उन्हें शिक्षा का अधिकार देने के साथ ही किसी प्रकार की प्रताड़ना, अत्याचार, बाल मजदूरी से बचाने के लिए चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट अस्तित्व में लाया गया. इसके तहत 14 साल से कम आयु के बच्चों से किसी भी क्षेत्र में काम लेना अपराध है. इस कानून के तहत दोषी व्यक्ति को 20 हजार रुपये तक का जुर्माना और कैद की सजा हो सकती है.
एचआरडी और श्रम मंत्रालय एक-दूसरे पर थोप रहे
दरअसल, यह पूरा मसला उलझन में फंसा है. मानव संसाधन विकास मंत्रलय (एचआरडी) के अनुसार अगर श्रम मंत्रलय यह सुनिश्चित कर दे कि कोई चाइल्ड लेबर नहीं हो तो समस्या का समाधान होगा. जबकि श्रम मंत्रलय मानता है कि अगर शिक्षा के अधिकार को 100 फीसदी सुनिश्चित किया जाये तो कोई बच्च स्कूल के बाहर ही नहीं होगा.
यह द्वंद की स्थिति है, इस बीच झारखंड में अजरुन मुंडा सरकार ने बालश्रम उन्मूलन के लिए चार माह पूर्व एक्शन प्लान घोषित कर दावा किया कि 2015 तक राज्य से बाल मजदूरी खत्म कर दी जायेगी. विशेषज्ञ इसे कोरी बकवास मानते हैं क्योंकि बाल मजदूरी बाजार से इतर घर में घुस चुकी समस्या है. जिस पर बगैर जागरूकता लगाम लगाना संभव नहीं है.