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21 साल बाद रिहा हुए 22 सजायाफ्ता, पांच बंदी जेल अदालत से हुए रिहा
जमशेदपुर : समाज के बनाये नियमों पर चलने और फिर लौटकर जेल नहीं आने का संकल्प लेकर मंगलवार को गांधी जयंती के अवसर पर घाघीडीह सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 22 बंदी रिहा हुए. मुख्यमंत्री की ओर से बंदियों को भेजे गये गांधी साहित्य भेंट कर जेल प्रशासन ने सबको रिहा […]
जमशेदपुर : समाज के बनाये नियमों पर चलने और फिर लौटकर जेल नहीं आने का संकल्प लेकर मंगलवार को गांधी जयंती के अवसर पर घाघीडीह सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 22 बंदी रिहा हुए. मुख्यमंत्री की ओर से बंदियों को भेजे गये गांधी साहित्य भेंट कर जेल प्रशासन ने सबको रिहा किया.
21 साल या उससे ज्यादा जेल में सजा काट चुके बंदियों के बाहर निकलते ही परिजन एक-दूसरे से लिपट रो उठे, जबकि एक बंदी रघुनाथ बलमुचू उर्फ हेंगरू की रिहाई रांची रिम्स से हुई. हालांकि बीमारी की वजह से फिलहाल वह रिम्स में ही रुक गया. इन सभी बंदियों को 25 सितंबर को रांची में राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में रिहा करने का निर्णय लिया गया था, जबकि शहीद निर्मल महतो की हत्या में आजीवान कारावास की सजा काट रहे धीरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू की रिहाई केंद्र सरकार (गृह मंत्रालय) से अनुमति मिलने के बाद होगी.
जेल अदालत से रिहा हुए पांच बंदी. गांधी जयंती के मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से घाघीडीह सेंट्रल जेल से लगाये गये विशेष जेल अदालत में कुल छह मामलों का निष्पादन किया गया. जिससे तत्काल पांच बंदी करन लोहार, राहुल मुखी, शकील अली उर्फ विक्की, गणेश चित्रकार, अमित सामद रिहा हो गये, जबकि एक बंदी अफजल अली की रिहाई अन्य मामला लंबित होने से अटक गया.
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