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एमजीएम अस्पताल में कुछ भी ठीक नहीं : निधि
जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में कुछ भी ठीक नहीं है. यहां बहुत कुछ करने की जरूरत है. आज से 18 साल पहले जो स्थिति थी, अब भी वही है. यहां पानी, बिजली, शौचालय, डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल, दवा, बेड व जगह की कमी है, जिसको ठीक करने की जरूरत है. साथ ही एमजीएम में काम […]
जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में कुछ भी ठीक नहीं है. यहां बहुत कुछ करने की जरूरत है. आज से 18 साल पहले जो स्थिति थी, अब भी वही है. यहां पानी, बिजली, शौचालय, डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल, दवा, बेड व जगह की कमी है, जिसको ठीक करने की जरूरत है. साथ ही एमजीएम में काम करने वाले लोगों में इच्छाशक्ति की बहुत कमी है.
उक्त बातें मंगलवार को एमजीएम का निरीक्षण करने पहुंची प्रधान सचिव निधि खरे ने कही. मंगलवार सुबह 10.45 बजे वे एमजीएम अस्पताल पहुंचीं. सबसे पहले अधीक्षक के चैंबर में पहुंच कर अधीक्षक व उपाधीक्षक से बात की. इसके बाद प्रशासनिक भवन में स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में उपायुक्त, अधीक्षक, उपाधीक्षक, सभी विभागाध्यक्ष, कॉलेज के प्राचार्य, जुस्को के पदाधिकारी, पीएचइडी, बिजली विभाग, भवन निर्माण विभाग सहित अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने सभी से उनके विभाग में क्या समस्या है. उसका निदान कैसे किया जा सकता है? इस पर चर्चा करते हुए एक महीने के अंदर अस्पताल में बनी नयी बिल्डिंग में सभी विभागों को शिफ्ट करने के लिए कहा.
इस पर विभागाध्यक्षों ने नयी बिल्डिंग में पानी, बिजली व शौचालय, बेसिन गलत जगहों पर लगाने की बात बतायी. अधीक्षक से कहा कि अस्पताल को इ-टेक्नोलॉजी से जोड़ने का काम करें, ताकि अस्पताल में कितने मरीज आ रहे हैं, उनका इलाज कैसे हो रहा है, अस्पताल में दवा की स्थिति क्या है, इसकी जानकारी मिल सके. सचिव ने अस्पताल में टोकन सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया, ताकि मरीजों को सुबह से भीड़ लगाने की जरूरत नहीं होगी. मरीज घर से नंबर लगा लेंगे. बैठक के बाद सचिव ने आर्थो विभाग, सर्जरी के ओटी, गायनिक ओटी, प्रसव केंद्र, एनआइसीयू व पीआइसीयू और बर्न यूनिट का निरीक्षण किया. सर्जरी विभाग में रिकवरी रूम में मॉनीटर बंद था, जिसे उन्होंने बुधवार से चालू करने के लिए कहा. निरीक्षण के दौरान सचिव ने वार्ड में भर्ती मरीजों से मिलकर इलाज के बार में भी जानकारी ली. इस दौरान उन्होंने गंदगी को साफ करने के लिए कहा.
अस्पताल में कम कर्मचारी व ज्यादा पैसा लेने के मामले की होगी जांच. निधि खरे ने कहा कि अस्पताल में सुरक्षागार्ड व आउटसोर्स कर्मचारियों को पीएफ, इएसआइ सहित अन्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. इसके साथ ही कम लोगों को लगाकर ज्यादा कर्मचारियों को पैसा लिया जा रहा है. इसकी जांच की जायेगी. इसमें कोई भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
मेडिकल कॉलेज का किया निरीक्षण : प्रधान सचिव ने अस्पताल के बाद मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने हॉस्टल, लाइब्रेरी सहित अन्य में क्या सुविधा है. उसको देखने के साथ ही प्राचार्य व वहां के विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को जाना. साथ ही समस्याओं को ठीक करने के लिए कहा. ताकि अगली बार एमसीआइ की टीम को सब कुछ अप टू डेट मिले.
जेएचआरसी के प्रतिनिधि मिले. एमजीएम में बच्चों की मौत के मामले को लेकर मंगलवार को जेएचआरसी प्रमुख मनोज मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल प्रधान सचिव निधि खरे से मिलकर उनको ज्ञापन सौंपा. इस संबंध में निधि खरे ने जेएचआरसी के सदस्यों को इसकी जांच कराने का आश्वासन दिया.
ज्ञापन सौंपा. सदर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को झारखंड राज्य चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सदस्यों ने अपना पांच सूत्री मांग संबंधित ज्ञापन सौंपा. इसमें एमजीएम में कार्यरत नर्सों को एसीपी व एमएसीपी का लाभ देने, चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को प्रोन्नति देने, सदर अस्पताल में कर्मचारियों का स्वीकृत पदों पर नियुक्ति करने, अनुबंध कर्मचारियों को नियमित करने की मांग शामिल है.
डॉक्टरों ने टर्म बढ़ाने की मांग की. अस्पताल के आठ सीनियर रेसिडेंट ने स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे से मिलकर बताया कि उन लोगों का टर्म छह महीने के बाद खत्म हो रहा है. वहीं अस्पताल में सीनियर रेसिडेंट की कमी है. टर्म खत्म होने के बाद वे लोग चले जायेंगे तो और कमी हो जायेगी.
बच्चों की मौत मामले में बनेगी मॉनीटरिंग कमेटी
जमशेदपुर. प्रधान सचिव ने कहा कि नवजात बच्चों की मौत के मामले में मॉनीटरिंग कमेटी गठित की जायेगी. लोकायुक्त ने जो आदेश दिया है, उसका पालन होगा. निरीक्षण के दौरान सचिव ने एनआइसीयू व पीआइसीयू को भी देखा, जिसमें पाया कि एनआइसीयू में पानी रिस रहा है. एक-एक वार्मर पर तीन से चार बच्चों को रखा गया था.
पूछने पर डॉक्टरों ने बताया कि एनआइसीयू में पांच वार्मर हैं, जिसमें से तीन खराब हैं. एनआइसीयू में एक आधा किलो का बच्चा था, जिसको देख कर प्रधान सचिव ने इसके कारणों का पता लगाने का निर्देश डॉक्टरों को दिया. साथ ही एनआइसीयू को 40 बेड का बनाने के लिए किन उपकरणों की जरूरत है, उसकी लिस्ट देने के लिए कहा. दूसरी तरफ उन्होंने ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर लगाने का निर्देश दिया.
राज्य में खुलेंगे 250 जन औषधि केंद्र
जमशेदपुर : लोगों को सस्ते दर पर दवा मिले, इसके लिए पूरे राज्य में 250 जन औषधि केंद्र खोले जायेंगे. सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा दी जाती है. यहां जन औषधि केंद्र नहीं चलेगा. इसके साथ ही डॉक्टरों को भी सस्ती दवा लिखने के लिए कहा गया है, ताकि मरीजों को इसका लाभ मिल सके.
आइएमए के सचिव को रूम से निकाला
बैठक कर रही प्रधान सचिव ने आइएमए सचिव डॉ मृत्युंजय सिंह को रूम से उस समय निकाल दिया, जब वे डॉक्टरों की समस्या रखने के अपने चेयर से उठे थे. सचिव ने पूछा कि क्या वे किसी विभाग के एचओडी हैं, जब बताया गया कि नहीं हैं, तो उनको यहां नेतागिरी नहीं करने व रूम से बाहर जाने के लिए कह दिया. इसके बाद वहां बैठे सभी विभाग के विभागाध्यक्षों को छोड़कर सभी डॉक्टरों को बाहर निकाल दिया गया. इस संबंध में डॉ मृत्युंजय सिंह ने कहा कि ओपीडी में शौचालय नहीं है, इस समस्या को वे सचिव के पास रखने के उठे थे, लेकिन उनको नेतागिरी की बात कह कर निकाल दिया गया.
पारा मेडिकल छात्रों ने प्रधान सचिव को बतायी अपनी समस्या
पारा मेडिकल के छात्रों ने बुधवार को प्रधान सचिव से मिलकर अपनी समस्याएं बतायी. जिसमें पारा मेडिकल का अपना कोई इंफ्रास्ट्रचर नहीं होना, पढ़ाई के नाम पर नि:शुल्क अस्पताल में काम लेना, छात्रों को रखने के लिए हॉस्टल व छात्रवृत्ति नहीं मिलना, आउटसोर्स पर कार्यरत सभी पारा मेडिकल को स्थायी करने की मांग की गयी.
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