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तीन दिन के जुड़वा नवजात को एमजीएम ने िकया रेफर, रिम्स ने नहीं लिया भर्ती, बस से लौटे परिजन, बच्चों की हालत नाजुक

जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में ऑपरेशन के बाद दो फरवरी को पैदा हुए जुड़वा बच्चों को बेहतर इलाज के नाम पर ऐसी त्रासदी से गुजरना पड़ा कि उन दोनों की जान पर बन आयी. बड़े सिर की बीमारी हाइड्रोसेफलस से ग्रसित जुड़वा नवजात के महज तीन दिन के होने पर ही न्यूरो समस्या का हवाला […]

जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में ऑपरेशन के बाद दो फरवरी को पैदा हुए जुड़वा बच्चों को बेहतर इलाज के नाम पर ऐसी त्रासदी से गुजरना पड़ा कि उन दोनों की जान पर बन आयी. बड़े सिर की बीमारी हाइड्रोसेफलस से ग्रसित जुड़वा नवजात के महज तीन दिन के होने पर ही न्यूरो समस्या का हवाला दे एमजीएम अस्पताल ने उन्हें रिम्स रेफर कर दिया. परिजनों को बताया गया कि यहां न्यूरो के डॉक्टर नहीं हैं, और बच्चों का ऑपरेशन जरूरी है. एमजीएम की ओर से मुहैया कराये गये एंबुलेंस से बच्चों को लेकर उसके पिता और मामा रिम्स पहुंचे. इसके बाद एंबुलेंस लौट गया.

उधर, रिम्स के डॉक्टर ने यह कहते हुए कि इतने छोटे बच्चे का ऑपरेशन नहीं हो सकता, दो हफ्ते बाद आयें, उन्हें भर्ती लेने से इनकार कर दिया. जिसके बाद एंबुलेंस नहीं होने के कारण मजबूरन बच्चों को लेकर परिजन ऑटो से कांटा टोली बस स्टैंड पहुंचे और फिर वहां से बस से टाटानगर स्टेशन के पास चाईबासा बस स्टैंड पहुंचे. बेहतर इलाज के नाम पर तीन दिन के नवजात को लेकर परिजन भटकते रहे, बस की यात्रा के कारण बच्चों को एक ओर इंफेक्शन का खतरा हो गया है, वहीं 12 घंटे तक बिना किसी चिकित्सीय मदद और पोषण मिलने के कारण उनकी हालत नाजुक हो गयी. दोनों जुड़वा बच्चे अभी एमजीएम के एनआइसीयू में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
स्टेशन के पास झोले में बच्चों को रख पिता व मामा कर रहे थे नाश्ता, पुलिस पहुंची, एमजीएम ले जाये गये नवजात
दो फरवरी को एमजीएम में पैदा हुए बड़े सिर वाले जुड़वां बच्चे, न्यूरो का डॉक्टर नहीं होने के कारण कर दिया रेफर
दोपहर एक बजे एंबुलेंस से हुए रवाना, रिम्स के डॉक्टर बोले-इतने छोटे बच्चे का नहीं हो सकता ऑपरेशन
दो हफ्ते बाद बुलाया, परिजनों को लौटने के लिए नहीं मिला एंबुलेंस, बस से रात 12.30 बजे पहुंचे शहर
इंफेक्शन के कारण बच्चों की स्थिति हुई नाजुक, एनआइसीयू में किये गये भर्ती
नासमझी के कारण लोगों को हुआ बच्चा चोर होने का शक
पश्चिम सिंहभूम के सोनुआ के माहीपीन गांव निवासी डागो बोदरा अपनी पत्नी सुरडी बोदरा को दो फरवरी को चाईबासा सदर अस्पताल से रेफर किये जाने के बाद एमजीएम अस्पताल लेकर आया. जांच में गर्भ में जुड़वा बच्चे होने और उनका सिर बड़ा पाये जाने के कारण ऑपरेशन के जरिये प्रसव कराया गया. एमजीएम में सुरडी बोदरा और उनके बच्चों का इलाज डॉ अजय राज की यूनिट में चल रहा है. पांच फरवरी को परिजनों को बताया गया कि बच्चों को न्यूरो की समस्या है और इसका इलाज रांची रिम्स में संभव है. एमजीएम में न्यूरो के डॉक्टर नहीं हैं. इसलिए बच्चों को रिम्स ले जाना होगा. एमजीएम अस्पताल की ओर से एंबुलेंस की व्यवस्था कर सोमवार की दोपहर एक बजे बच्चों को उसके पिता और मामा के साथ रिम्स भेज दिया गया, जबकि उनकी मां सुरडी बोदरा का इलाज एमजीएम में ही जारी रहा.
रिम्स में बच्चों को डॉ एके चौधरी की यूनिट में दिखाया गया. वहां परिजनों को बताया गया इतने छोटे बच्चे का ऑपरेशन संभव नहीं है, दो हफ्ते के बाद ही इन्हें भर्ती लिया जायेगा, वहां के डॉक्टर ने पर्ची पर दो-तीन दवाएं जरूर लिख दीं. जिसके बाद परिजन वापस लौटने को मजबूर थे, क्योंकि बच्चों की मां एमजीएम में भर्ती थी. एंबुलेंस के लौट जाने के कारण उन्हें ऑटो से बस स्टैंड आना पड़ा और वहां से बस पकड़कर रात करीब 12.30 बजे शहर लौटे. पढ़े लिखे नहीं होने और जानकारी के अभाव में स्टेशन के पास बच्चों को कपड़े में लपेटकर झोले में रख पिता और मामा नाश्ता करने लगे.
इसी बीच बच्चा चोर का शक होने पर किसी ने 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दे दी. बागबेड़ा थाना प्रभारी रामयश प्रसाद ने बताया कि सूचना मिलने पर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों से पूछताछ की. इलाज का कागज दिखाने के बाद पुलिस दोनों को बच्चों के साथ लेकर रात करीब डेढ़ बजे एमजीएम आयी, जहां बच्चों को मां के पास वार्ड में दे दिया गया. मंगलवार को बच्चों की हालत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल के एनआइसीयू में रखा गया है, डॉक्टरों के अनुसार दोनों बच्चे दूध नहीं पी रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.
नवजात को लेकर यात्रा करना खतरनाक
एमजीएम के डॉक्टरों के अनुसार चार या पांच दिन के नवजात को लेकर इस तरह यात्रा करना खतरनाक है. इस दौरान कुछ भी हो सकता है.
मामले की जानकारी मिली है. बिना एंबुलेंस रांची से टाटा कैसे भेजा गया. यहां से तीन दिन के नवजात को क्यों रेफर कर दिया गया. इस संबंध में विभाग के डॉक्टरों से बात करके ही कुछ कहा जा सकता है.
डॉ महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन
सुलगते सवाल
तीन दिन के नवजात को क्यों रेफर किया गया, जब इतने छोटे बच्चे का ऑपरेशन संभव ही नहीं
रिम्स में भर्ती नहीं लिये जाने की अवस्था में नवजातों को वापस भेजने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी
एमजीएम में क्यों नहीं की जा सकी है न्यूरो सर्जन की नियुक्ति

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