जमशेदपुर : विभाग की आेर से जेपीएससी को भेजे गये पत्र में अलग-अलग कुल नौ बिन्दुओं पर मापदंड तय किये गये हैं. इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय के निर्णय में प्रोन्नति केवल वही मामले आच्छादित नहीं हैं, जिनमें वाद दायर किया गया है, बल्कि प्रोन्नति के सभी मामले आच्छादित हैं. इसमें कहा गया है कि आयोग के स्तर पर एक मई 2017 तक जितने मामले लंबित हैं, उन पर विचार किया जाना आवश्यक है.
उस पर कोर्ट की अाेर से दिये गये निर्णय के आलोक में गठित समिति द्वारा तय किये गये दिशा-निर्देश के अालोक में निर्णय लिया जाना है. प्रोन्नति के एेसे मामले, जो कोर्ट में लंबित हैं. उन मामलों में कोर्ट के निर्णय के आलोक में ही आगे की कार्रवाई की जाये. जिन मामलों में आदेश पारित हो गया है, उनमें आदेश के आलोक में कार्रवाई की जाये. मानव संसाधन विकास विभाग के पत्रांक 402 में 27 मार्च 2012 के आलोक में कालबद्ध प्रोन्नति योजना एवं मेघा प्रोन्नति योजना से संबंधित प्रस्ताव, जिनमें अभ्यर्थी शिक्षक के नियुक्ति तिथि में कोई दुविधा अथवा भिन्नता नहीं हो, पर दोनों योजनाओं के लिए निर्धारित कट ऑफ डेट क्रमश: 23 सितंबर 1995 तथा 26 सितंबर 1998 तक विचार किया जाना है.
नवांगीभूत कॉलेजों के मामले में सेवा की गणना जस्टिस अग्रवाल एवं जस्टिस एसबी सिन्हा के आयोग द्वारा निर्धारित तिथि से होगी. कॅरियर एडवांसमेंट योजना से संबंधित प्रस्तावों के परिनियमानुसार कट ऑफ डेट के अंदर विचार किया जाना है. यूजीसी के पत्र के आलोग में निर्गत विभागीय संकल्प का हवाला देते हुए ओरिएंटेशन एवं रिफ्रेशर कोर्स की अवधि 31 मार्च 2013 तक विस्तारित की गयी है. इस अवधि तक ओरिएंटेशन एवं रिफ्रेशर कोर्स करने वाले शिक्षकों को एसएएस के अंतर्गत प्रोन्नति का लाभ दिया जा सकेगा. इसमें यह भी कहा गया है कि लेक्चरर से सीनियर स्केल लेक्चरर में प्रोन्नत को ओरिएंटेशन एवं रिफ्रेशर कोर्स के कारण रोका नहीं जाये. पत्र में विस्तार से कई और मामलों की व्याख्या की गयी है.