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एक एंबुलेंस के भरोसे टाटानगर रेलवे अस्पताल और रेल यात्री

जमशेदपुर:चक्रधरपुर रेलमंडल में टाटानगर को मॉडल स्टेशन का दर्जा मिला हुआ है, लेकिन एक एंबुलेंस पर टाटानगर रेलवे अस्पताल और रेल यात्री निर्भर हैं. यही कारण है कि यात्रा के दौरान किसी यात्री की तबीयत खराब होने या रेलवे अस्पताल में भर्ती मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर करने के लिए एक ही एंबुलेंस पर […]

जमशेदपुर:चक्रधरपुर रेलमंडल में टाटानगर को मॉडल स्टेशन का दर्जा मिला हुआ है, लेकिन एक एंबुलेंस पर टाटानगर रेलवे अस्पताल और रेल यात्री निर्भर हैं. यही कारण है कि यात्रा के दौरान किसी यात्री की तबीयत खराब होने या रेलवे अस्पताल में भर्ती मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर करने के लिए एक ही एंबुलेंस पर निर्भर रहना पड़ता है. इस वजह से ट्रेनों में सफर के दौरान या किसी अन्य कारण से घायल होने वाले यात्री को रेलवे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए जीआरपी व आरपीएफ को एंबुलेंस के बजाये ऑटो का सहारा लेना पड़ता है.
प्रतिदिन 60 हजार यात्री करते हैं सफर. टाटानगर से प्रतिदिन 60 हजार यात्री सफर करते हैं. स्टेशन से रेलवे अस्पताल की दूरी आधा किलोमीटर है, जबकि सरकारी अस्पताल एमजीएम की दूरी 10 किलोमीटर से ज्यादा है.
मरीजों को लाने-ले जाने में लगते हैं प्रतिदिन छह घंटे. रेलवे अस्पताल से एंबुलेंस डायलिसिस मरीजों को प्रतिदिन चार बार लेकर सुबह शाम टाटा मोटर्स अस्पताल जाती है. डायलिसिस मरीजों को को लेकर एंबुलेंस प्रतिदिन सुबह 6 बजे, सुबह 9 बजे, दोपहर 2:30 बजे, शाम 6:30 बजे और सप्ताह में दो दिन चक्रधरपुर से दो रेलकर्मियों को लेकर रेलवे अस्पताल से टाटा मोटर्स जाती है. रेलवे अस्पताल से टाटा मोटर्स अस्पताल जाने और आने के दौरान कम से कम डेढ़ घंटा का समय एंबुलेंस को एक बार में लगता है. इस दौरान अस्पताल से किसी मरीज को अकस्मात रेफर करने या स्टेशन से किसी बीमार यात्री को रेलवे अस्पताल तक आने के लिए एंबुलेंस नहीं रहता है. मरीज को ऑटो या अन्य वाहन का सहारा लेना पड़ता है.
19 साल पुरानी है एंबुलेंस. वर्तमान एंबुलेंस 19 साल पुरानी है. साल 2015 में उसे चक्रधरपुर से लाया गया था. पुराना होने से एंबुलेंस की स्थिति भी ठीक नहीं है. न ही अत्याधुनिक सुविधा एंबुलेंस में है. एंबुलेंस का परिचालन कर्मी 12-12 घंटे में दो शिफ्ट में करते है. जबकि तीन चालकों की तैनाती है.
केस 1. 8 सितंबर को पार्सल गेट के पास दोपहर में इस्पात एक्सप्रेस से उतरी आलिया खातून ने बच्ची को जन्म दिया. ऑटो से अस्पताल भेजा गया.
केस 2. 13 नवंबर को स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर नवजात बच्ची की किलकारी गूंजी. आरपीएफ के एएसआई रंजीत कुमार और सूर्यकांत ने टेंपो से प्रसूता एवं नवजात को टाटानगर रेलवे अस्पताल पहुंचाया.
केस 3. 17 नवंबर इस्पात एक्सप्रेस से टाटानगर पहुंचे रेल कर्मी की तबीयत खराब होने पर आरपीएफ जवान ऑटो से इलाज के लिए रेलवे अस्पताल ले गये.

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